जनपद हापुड़ के सिकंदर गेट स्थित इमामबाड़ा में मजलिस का आयोजन कर इमाम हुसैन की शहादत को याद किया। मजलिस के बाद अलम जुलूस निकाला गया, जिसमें अंजुमन हुसैनी ने सीनाजनी, नौहाख्वानी, आग पर मातम मनाकर करबला के शहीदों को खिराजे अकीदत पेश की।
इस दौरान या हुसैन की सदाएं गूंजती रहीं। मौलाना सैय्यद लारेब हुसैन जेदी ने कहा कि इमाम् हुसैन ने अपना नाना के दीन को बचाने के लिए मदीने से हिजरक कर करबला को आबाद कर पैगाम दिया कि जब भी कोई यजीद बनकर दीन को मिटाने की कोशिश करेगा, तब तब परवरदीगार किसी न किसी हो हुसैन बनाकर भेजेगा।
मजलिस के बाद जुलूस की शक्ल में अलम बरामद किया गया, जिसमें अंजुमन हुसैनी ने आग पर मातम, अलम की मिलाई, सीनाजनी व नौहाख्वानी कर करबला के शहीदों को खिराजे अकीदत पेश की। जुलूस को कई जगहों से निकला गया। कोटला सादात स्थित इमामबाड़ा से शुरू होकर ऐजाज हुसैनी मस्जिद, कोटला सादात होते हुए हुसैनी चौक पर समाप्त हुआ। सभी लोग काले कपड़े पहन कर नंगे पैर मातम करते हुए चल रहे थे।
इस दौरान अकीदतमंद या हुसैन की सदाएं गूंजती रहीं। इस मौके पर राशिद हुसैन, फैसल अब्बास, अहमद अली, तहसीन हुसैन, हैदर रिजवी, अमन रिजवी, मोमीन अब्बास आदि मौजूद रहे।