जनपद हापुड़ के पिलखुवा में आई फ्लू की चपेट में है, लेकिन जिले की पांच सीएचसी में कोई नेत्र रोग विशेषज्ञ नहीं है। दूर-दराज से मरीज लंबी दूरी तय करके हापुड़ सीएचसी या जिला अस्पताल आते हैं। वहीं, बता दें कि नेत्र विभाग की ओपीडी में 90 फीसदी से अधिक मरीज आई फ्लू के ही आ रहे हैं।
बृहस्पतिवार को गढ़ रोड सीएचसी में नेत्र रोग विभाग की ओपीडी में 230 मरीज आए, इनमें अधिकांश आई फ्लू के ही थे। इस अस्पताल में एक नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ संजय तैनात है। लेकिन उनकी ड्यूटी कैंप में लगने के कारण मरीज को दूसरे चिकित्सकों ने ही देखा।
इसके अलावा गढ़, सिखेड़ा, धौलाना, सपनावत, पिलखुवा सीएचसी में नेत्र रोग विशेषज्ञ ही नहीं हैं। सामान्य ओपीडी में ही आई फ्लू के मरीजों को देखा जा रहा है। एमबीबीएस चिकित्सक ही ऐसे मरीजों को इन सीएचसी में देख रहे हैं।
हर जगह आंखों में संक्रमण फैल रहा हैं। लोग एक दूसरे से आंख मिलाने में कतरा रहे हैं तो वही पांच सीएचसी में नेत्र रोग विशेषज्ञ की तैनाती न होने के कारण लोगों को निजी आई केयर पर जाकर अपना इलाज कराना पड़ रहा है, जिससे लोगों पर अधिक आर्थिक बोझ पड़ रहा है। आर्थिक स्थिति से कमजोर लोग अपना इलाज नहीं करा पा रहे हैं।
दिलचस्प बात यह है कि जिला अस्पताल में नेत्र रोग विशेषज्ञ का सिर्फ एक ही पद है, लेकिन इसके सापेक्ष यहां चार-चार नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं। ऐसे में यदि इनमें किसी को दूसरी सीएचसी भेज दिया जाए तो मरीजों को राहत मिल सकती है। लेकिन ये नेत्र रोग विशेषज्ञ शासन से ही अपनी नियुक्ति जिला अस्पताल में कराकर लगाए हैं, ऐसे में अधिकारी भी इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहते।
जिलेभर में आई फ्लू का प्रकोप है, घर घर में मरीज मिल रहे हैं। परिवार के किसी एक सदस्य को आई फ्लू होने पर पूरा परिवार संक्रमित हो रहा है। ऐसे में स्कूलों में भी छात्रों की संख्या दस फीसदी तक घट गई है। आई फ्लू से भयभीत होकर छात्र चश्मे लगाकर स्कूल पहुंच रहे हैं। जिन छात्रों में लक्षण मिलते हैं उन्हें शिक्षक वापस घर भेज रहे हैं। हालांकि दवाओं से मरीज स्वस्थ हो रहे हैं। इसमें उन्हें पांच से सात दिन का समय लग रहा है।
सीएमओ डॉ. सुनील त्यागी ने बताया की चिकित्सकों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए हैं। मरीजों ताजे पानी से आंख धोते रहें, संक्रमित होने पर चश्मे लगाएं। परेशानी होने पर चिकित्सक से परामर्श लें।