जनपद हापुड़ में कोरोना काल से घरों में बागवानी का रुझान बढ़ा है। लोगों ने अपनी छतों, बालकनी और अन्य स्थानों पर पौधे लगाने शुरू कर दिए हैं। अब जब मानसून शुरू हो गया है, नर्सरी में पौधों की बिक्री बढ़ गई है। लोग ऑक्सीजन युक्त छोटे पौधों की अधिक मांग कर रहे हैं।
पर्यावरण संरक्षण को लेकर अब लोगों में धीरे-धीरे जागरुकता बढ़ रही है। कोरोनाकाल के बाद तो अधिकांश घरों में हरियाली नजर आने लगी है। घर के अंदर गमलों में सुंदरता बढ़ाने वाले एवं औषधीय पौधे तो घर के बाहर व आंगन में आंवला, नीम, बरगद व पीपल के पौधे लगाए जा रहे हैं। जिन लोगों के पास जगह कमी है वह अपने घर के छतों पर छोटे-छोटे गमलों, पानी की खाली बोतल या पुराने डिब्बों में तरह-तरह के पौधे लगाने लगे हैं।
मानसून की पहली बारिश के बाद से लगातार बारिश हो रही है। यह मौसम पौधरोपण के लिए मुफीद है। पौधों की 30 से 40 प्रतिशत बिक्री बढ़ी है। नर्सरी संचालक मुकुल ने बताया कि इस बार नर्सरी में ऑक्सीजन देने वाले और फूलदार नई-नई प्रजातियों के पौधों की मांग 40 से 50 प्रतिशत बढ़ी है। इस वर्ष मानसून की पहली बारिश के बाद से अच्छी बिक्री हो रही है। इसके अलावा औषधीय और फलदार पौधे भी लोग खरीद रहे हैं।
उन्होंने बताया कि पौधे खरीदने के लिए पुरुषों के साथ- साथ महिलाएं भी उत्साहित हैं। पौधों की कीमत उनकी लंबाई और क्वालिटी के आधार पर निर्धारित है। नर्सरी में पीपल, बरगद, गूलर, नीम, पपीता, आम, जामुन, तुलसा आदि के पौधे है। इसके अलावा औषधीय पौधों में गिलोय, आंवला, मीठा नीम, तुलसी, एलोवेरा भी खूब बिक रहा है।