जनपद हापुड़ में कांवड़ यात्रा के कारण सड़कों पर रूट डायवर्जन से लोगों के साथ उद्योगों की भी परेशानी बढ़ती जा रही है। जगह- जगह रूट डायवर्जन और शहरों में भारी वाहनों के प्रवेश से ट्रांसपोर्टरों को भी झटका लगा है।
श्रावण मास में 15 जुलाई को महाशिवरात्री पर्व पर भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए कांवड़िये गोमुख और हरिद्वार से गंगाजल लेकर वापस लौटने लगे हैं। कांवड़ियों को किसी प्रकार की परेशानी न हो इसके लिए शासन ने कांवड़ मार्गों पर वाहनों का आवागमन बंद कर दिया है या फिर परिवर्तित मार्गों से लंबी दूरी तय कर वाहनों को निकाला जा रहा हैं।
शहरों में भारी वाहनों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है और कांवड़ मार्ग पर भी जरूरी सामान ले जाने वाले वालों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में वाहन चालक सड़कों पर वाहन चलाने में कतरा रहे हैं। जिसके परिणाम स्वरूप ट्रांसपोर्ट एजेंसियों ने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। माल की बुकिंग बंद कर दी गई है और पुरानी बुकिंग कैंसिल की जा रही है।
कुछ लोगों का कहना है की रास्ते बंद होने से पिछले पांच दिन से ट्रांसपोर्टर माल की बुकिंग नहीं कर रहे। 40 प्रतिशत औद्योगिक इकाइयां बंद हुई है। ट्रांसपोर्ट और उद्योग के पहिये थमने से हापुड़ में करीब दो सौ करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है।
इसका प्रभाव उद्योगों पर भी पड़ रहा है। कच्चा माल और जरूरी सामान फैक्टिरियों तक नहीं पहुंचने से उद्योग भी ठप हो गए हैं। वहीं फैक्टरियों में मजदूर भी खाली बैठे हैं। ऐसे में उत्पादन पर भी असर पड़ेगा। उद्यमियों का कहना है कि प्रशासन को कुछ ऐसा करना चाहिए, ताकि उनकी फैक्टरियां बंद न हों, मजदूर भी खाली न बैठे और उनका उत्पादन भी समय पर पूरा हो जाए।
आनंद ट्रांसपोर्ट कंपनी संचालक मोहित अग्रवाल का कहना है की कांवड़ यात्रा के कारण रूट डायवर्जन किया हुआ है या फिर लंबे रास्तों से वाहनों को निकाला जा रहा है। ऐसे में वाहन चालक सड़कों पर जाने से कतरा रहे हैं, जिसके कारण वाहनों के पहिये थम गए है और बुकिंग कैंसिल की जा रही हैं। इसका प्रभाव सीधा सीधा उद्योगों पर पड़ रहा है।