जनपद हापुड़ में सावन का माह शुरू हो गया। सावन को कांवड़ मेले के अलावा बुआ और बहनों की कोथली के लिए भी जाना जाता है। सावन में घेवर और गुंजिया की सोंधी खुशबू लोगों को लुभा रही है। मिठाइयों की दुकानों पर मलाई, पनीर के साथ खुरचन के घेवर की मांग काफी बढ़ गई है। इसके अलावा आटे से लेकर केसर वाला घेवर भी लोगों को खूब भा रहा है।
सावन माह शुरू होने पर बाजार घेवर की सुगंध से महकने लगे हैं। सावन में बहन-बेटियों को हरियाली तीज पर सिंदारा दिया जाता हैं। इसमें घेवर व गुझिया के अलावा नमकीन पपड़ी, मीठी पपड़ी आदि को भी शामिल किया जाता है। हरियाली तीज से पहले ही सिंदारा पहुंचाना शुरू हो जाता है। रक्षाबंधन तक घेवर की मांग रहती है। घेवर की मिठास बहन-भाई के रिश्तों को मजबूत करता है।
मिठाई विक्रेताओं के यहां कारीगर दिन-रात मेहनत कर कच्चा घेवर तैयार कर रहे हैं। लोगों को आकर्षित करने के लिए घेवर में वैरायटी पर भी खासा ध्यान दिया जा रहा है। हरियाली तीज और रक्षाबंधन के आसपास एकाएक डिमांड आने पर घेवर को झटपट तैयार कर बेचा जा सके।
सावन में घेवर की मांग ज्यादा रहती है। लोगों को सादा, आटे वाला, केसर वाला घेवर खूब पसंद आ रहा है। इसके रंग व स्वाद को देखते हुए केसर वाले घेवर की ज्यादा डिमांड कर रहे हैं।