जनपद हापुड़ में दाम बढ़ने के इंतजार में जिले के किसानों ने गेहूं रोका लिया है, करीब 20 लाख क्विंटल गेहं स्टोर कर लिया है। बाजार में एमएसपी से करीब 75 रुपये ऊपर गेहूं खरीदा जा रहा है, फिर भी किसान वहां नहीं पहुंच रहे। पिछले साल के भाव के इंतजार में किसान गेहूं बाजार नहीं ला रहे।
जिले के 43264 हेक्टेयर रकबे में गेहं की खेती की गई है, 90 फीसदी से अधिक गेहूं की निकासी हो गई है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने इस बार 2035571 क्विंटल गेहूं उत्पादन का औसत तय किया था। एक अप्रैल से ही जिले में 31 केंद्रों पर खरीद शुरू की गई है। शासन की ओर से गेहूं का एमएसपी 2125 रुपये/ क्विंटल घोषित किया गया है। इसके साथ ही केंद्र पर गेहूं बिक्री से पहले किसान को रजिस्ट्रेशन कराने की बाध्यता दी गई है।
शुरूआत में किसान गेहूं लेकर केंद्रों पर पहुंचे थे, लेकिन जैसे ही बाजार में गेहूं का रेट 2200 से ऊपर पहुंचा तो किसानों ने केंद्रों पर सप्लाई बंद कर दी। अब सिर्फ जरूरत वाले किसान ही बाजार में गेहूं लेकर आ रहे हैं।
किसानों ने अचानक गेहूं की बिक्री बंद कर दी, ऐसे में मंडी व बाजार में बैठे आढ़ती भी अब परेशान होने लगे हैं, क्योंकि इस सीजन में गेहूं से ही उनका कारोबार चलता था जो अब ठंडा पड़ा है।
जिला विपणन विभाग को इस साल 36 हजार एमटी गेहूं खरीद का लक्ष्य मिला है, 15 जून तक यह लक्ष्य पूरा करना है। लेकिन किसानों की उदासनीता के कारण लक्ष्य पूरा होता नहीं दिख रहा। जिला विपणन विभाग के केंद्रों पर सन्नाटा पसरा है, यही कारण है कि 37 दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक सिर्फ 198 किसानों ने ही केंद्रों पर गेहूं की बिक्री की है।
लक्ष्य पूरा करने के लिए विभाग ने मोबाइल वैन चलायी है, जो गांवों में जाकर किसानों से सीधे गेहूं खरीद रही है और उनके खातों में पैसा भेज रही है।
पिछले साल 3100 रुपये प्रति क्विंटल तक गेहं बिका था, इसी भाव के इंतजार में किसानों ने करीब 20 लाख क्विंटल गेहूं स्टोर कर लिया है। उधर, सीजन में ही भूसे के दाम आसमान छू रहे हैं, 800 रुपये क्विंटल तक खेत से ही भूसे की बिक्री हो रही है। पिछले साल 1800 रुपये तक भूसा बिका था। ऐसे में इस बार भी चारा संकट गहरा सकता है। वहीं बेमौसम बरसात के कारण करीब 10 फीसदी फसल खेतों में खड़ी है। जिसकी कटाई के लिए अब मजदूर नहीं मिल रहे हैं।
जिला विपणन अधिकारी समरेंद्र प्रताप सिंह- ने बताया की गेहूं खरीद को लेकर केंद्रों पर पर्याप्त बारदाना मौजूद है, किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। मोबाइल वैन के जरिए भी गांवों में घर घर जाकर खरीद कराई जा रही है।