जनपद हापुड़ में नए शैक्षिक सत्र को लेकर विद्यार्थियों से अधिक उनके अभिभावक तैयारी में जुटे हैं। ओवर रेटिंग की वजह से अभिभावकों की जेब खाली हो रही है। किताबों के दाम बढ़ने के साथ ही कॉपियां भी महंगी कर दी है।
महंगा करने का तरीका भी यह निकाला है। कि कॉपी तैयार करने वालों ने दाम बढ़ाने की बजाय कॉपियों में पेज की संख्या कम कर दी है। किताबों और स्टेशनरी के भी दाम में वृद्धि की गई है।
अभिभावकों की जेब पर महंगाई की मार इस बार भी जारी है। कागज पर महंगाई बढ़ने के कारण इस बार किताबों के 10 फीसदी तक दाम बढ़ाए गए हैं। नए शैक्षिक सत्र में निजी स्कूलों ने हर क्लास का नया पाठ्यक्रम जारी किया है। निजी प्रकाशनों का कोर्स परेशानी का सबब बन रहा है।
ऐसे में पुरानी किताबों से पढ़ना संभव नहीं है, अभिभावकों को कक्षा एक के बच्चे का कोर्स भी तीन हजार से अधिक का ही मिल रहा है। दिलचस्प बात यह है कि जिन दुकानदारों के पास पुराना माल पड़ा है, उन्होंने भी कागज महंगा होने का बहाना बनाकर, ज्यादा दाम लेने शुरू कर दिए है। बहुत से स्कूल अपने यहीं से स्कूल में पड़ रहे बच्चों को पाठ्यक्रम दे रहे हैं, जो सबसे अधिक महंगा पड़ रहा है।
पुस्तक विक्रेता वरुण ने बताया कि कागज महंगा होने के कारण कॉपियों के दाम बढ़े हैं। बीते वर्ष 20 रुपये की कॉपी में 112 पेज दिए गए थे, जिन्हें घटाकर 96 कर दिया गया है। यानी 14 पेज कम कर लाभ कमाया जा रहा है। अन्य दाम की कॉपियों और रजिस्टर में भी इसी तरह पेज की संख्या कम की गई है। बता दें कि बीते वर्ष कागज के दाम बढ़ने से भी कॉपियां महंगी हुई थी, लेकिन इस बार सभी कॉपी बनाने वालों ने पेज कम किए हैं।
इसके अलावा पेंसिल, रबर सहित स्टेशनरी के तमाम सामान पर दो से पांच रुपये बढ़ाए गए हैं। पेंसिल का जो पैकेट 35 से 45 रुपये का था वह 40 से 50 रुपये कर दिया गया है। स्टेशनरी की सभी चीजों पर दाम बढ़ाकर अभिभावकों पर महंगाई की मार पड़ रही है।
डीआईओएस पीके उपाध्याय- का कहना है की जिले के स्कूल पाठ्यक्रम में एनसीईआरटी की किताबों को शामिल करें। शासन के यही आदेश हैं, छात्रों पर बिन वजह महंगा कोर्स न थोंपा जाए। अभियान चलाकर जांच की जाएगी, इसमें सख्त कार्यवाही भी होगी।