जनपद हापुड़ में एच-, एन-2 एन्फ्लूएंजा के खतरे के बीच जिले के मरीजों को सूखी खांसी ने जकड़ लिया है। पिछले एक महीने से खांसी मरीजों को परेशान कर रही है।
खांसी से परेशान मरीजों की सख्या दिनवदिन अस्पतालों में बढ़ती जा रही है, जो लगातार दवाओं के सेवन के बाद भी लोगों को दम सुकेड़ने पर मजबूर कर रही है।
सरकारी अस्पतालों में 30 दिन के अंदर करीब 15 हजार कफ सीरप बांट दिए गए हैं, अब अस्पतालों में पांच से सात दिन का ही स्टॉक बचा है। अधीक्षकों ने दवाओं की उपलब्धता को लेकर पत्राचार किया है। सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में ज्यादातर 60 फीसदी से अधिक मरीज खांसी रोगों के हैं।
देशभर में एच-3, एन-2 इन्फ्लूएंजा के मामले बढ़ रहे हैं, हापुड़ में भी इस रोग के लक्षण वाले मरीजों की भरमार है। आलम यह है कि जिस मरीज को खांसी जकड़ रही है वह दो से तीन सप्ताह तक भी स्वस्थ नहीं हो पा रहा है। लोगो की खासी इतनी बढ़ रही है की खांसते खांसते छाती और पेट दुख रहे हैं, गले में खराश भी राहत नहीं मिलने दे रही है। एंटी एलर्जिक और एंटी बायोटिक के साथ- साथ गले में खराश के लिए एजीथ्रोमाइसिन की भी मांग बढ़ी है।
आलम यह है कि एक महीने के अंदर सबसे ज्यादा खांसी का कफ सीरप, एंटी एलर्जिक, एंटी बायोटिक दवाओं की सबसे अधिक खपत हुई है। सबसे अधिक ओपीडी वाले सीएचसी हापुड़ को एक महीने पहले आठ हजार कफ सीरप आवंटित हुए थे, जिनमें अब बमुश्किल 400 ही बचे हैं, अन्य अस्पतालों में भी यही हाल है।
सीएमओ डॉ.सुनील त्यागी- का कहना है की जिले के अस्पतालों में दवाओं को लेकर रोजाना रिपोर्ट ली जा रही है, कफ सीरप व अन्य एंटी एलर्जिक और एंटी बायोटिक दवाओं की कोई कमी नहीं होगी। जिन अस्पतालों में दवाएं कम हैं, वहां पर्याप्त मात्रा में पहुंचा दी जाएंगी।