बढ़ रहे कुनबे को देखते हुए डब्ल्यूडब्ल्यूएफ और वन विभाग चलाएगा डॉल्फिन और कछुओं के लिए जागरुकता अभियान
हापुड़। गंगा की रामसर साइट पर डॉल्फिन के साथ अब स्वच्छ जल में विचरण करने वाले कछुओं का कुनबा तेजी से बढ़ा है। सर्वे में पता चला है कि उत्तर प्रदेश में कछुओं की 15 प्रजातियों में से 12 गढ़ क्षेत्र के रामसर साइट में मौजूद हैं।
गंगा में डॉल्फिन के बाद कछुओं की बढ़ती संख्या जलीय जीव प्रेमियों के लिए उत्साहित करने वाला है। बड़ी बात है कि दुलर्भ प्रजातियों की यहां मौजूदगी से आने वाले बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।
स्थिति में और सुधार हो सके, इसके लिए गंगा के रामसर साइट में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया और यूपी वन विभाग की टीम के संयुक्त प्रस्ताव कार्य को क्रियान्वित करने की स्वीकृति प्रदान की गई है। टीम इन गांवों में गोष्ठी का आयोजन कर कछुओं के घोंसलों की पहचान और उन्हें संरक्षित करने के उपाय बताएगी।
हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण और ऊपरी गंगा रामसर साइट में प्रमुख जलीय जैव विविधता (मीठे पानी के कछुए, घडियाल, डॉल्फिन और पक्षी) और आदूरभूमि के संयुक्त संरक्षण प्रस्ताव के अनुसार कार्य शुरू करने जा रहे हैं।
इस परियोजना में गंगा मित्रों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने, बढ़ाने और क्षमता निर्माण के लिए संयुक्त रूप से जागरूकता कार्यक्रम होंगे। गंगा खादर के गांवों में ग्रामीणों के साथ गोष्ठी कर कछुओं के व्यवहार, उनकी जीवन शैली और घोंसलों की पहचान के बारे में बताया जाएगा।
कछुओं के अंडों को सुरक्षित रखने के लिए ग्रामीण इनकी जानकारी अधिकारियों को देंगे। प्रभागीय वन अधिकारी संजय कुमार मल्ल ने बताया कि दुनिया भर में कछुओं की करीब 300 प्रजातियां पाई जाती हैं, इनमें से 15 प्रजाति उत्तर प्रदेश में मिलती हैं।
उत्साहित करने वाली बात यह है कि इनमें से 12 प्रजाति गढ़ में रामसर साइट में मौजूद हैं। इनमें इंडियन फ्लैप्सहेल, पंगशुरा टेक्टा, पांगशुरा सिलेथेन्सिस, इंडियन सोफ्टशेल टर्टल, (लाल पंख के छत वाले कछुए) बटागुर कचुगा, मोरेनिया पेटर्सि शामिल हैं। इनमें कई प्रजातियां लुप्त प्राय हैं।
गंगा के पानी की शुद्धता में बेहतरी, इस दिशा में जागरूकता और सरकार की पहल के बाद डाल्फिन की संख्या 50 के पार होने की उम्मीद लगाई जा रही है। विश्व प्रकृति निधि, वन्य जीव संस्थान एवं वन विभाग की टीम द्वारा क्षेत्र में इनकी गणना की गई। पिछले वर्ष तक हुई गणना में गंगा में डाल्फिन की संख्या 41 थी।