जनपद हापुड़ के विद्युत विभाग में करीब 18 साल पहले नलकूपों के बिलों व अभिलेखों में हेराफेरी कर करीब 600 करोड़ का गबन किया गया था। अब ऊर्जा विभाग के पूर्व लिपिक ने जांच पर ही बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
बता दें कि 18 साल पहले वर्ष 2004 में घोटाले की खबर लगीं, तो सभी के होश उड़ गए। स्थानीय स्तर पर कई अधिकारियों व कर्मचारियों पर गाज गिरी। इसके बाद वर्ष 2019 में तत्कालीन डीएम अदिति सिंह ने किसानों की व्यथा सुनकर शासन से पत्राचार कर जांच शुरू कराई।
पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड की टीम ने विभाग के रिकोर्ड रूम को खंगाल कर कई महत्वपूर्ण दस्तावेज अपने साथ ले गए। लेकिन तीन साल बाद भी जांच पूरी नहीं हो पाई।
अब ऊर्जा विभाग के पूर्व लिपिक केके अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष को पत्र लिखकर जांच पर सवाल खड़े कर दिए है। उन्होंने अपने पत्र में कहा कि वर्ष 2004 व 2006 में नीजि नलकूपों के बिलों में हेरफेर कर करोड़ों रूपए का गबन किया गया।
इसका खुलासा होने पर सीओ विजिलेंस मेरठ, थाना कोतवाली हापुड़ नगर, प्रबंध निदेशक मेरठ, आर्थिक अपराध अनुसंधान( ईओ डब्यू सीआईडी) मेरठ द्वारा जांच की गई। उन्होंने बताया कि सभी जांच में उनका सहयोग लिया गया। लेकिन सभी जांच में दोषी पाए जाने वाले अफसरों व कर्मचारियों के दबाव में आकर कोई एक्शन नहीं लिया गया।
उनका कहना है कि विद्युत विभाग में करोड़ों रूपए घोटाले की जांच किसी ऐसी एजेंसी से कराई जाए, जो विभाग के अधिकारी के प्रभाव में न आए। ताकि किसानों की समस्या का समाधान हो सकें।
विद्युत विभाग की तीनों डिवीजन में नीजि नलकूपों के बिलों में गड़बड़ी कर 600 करोड़ की हेराफेरी की गई थी। इससे कुल 6546 किसान प्रभावित है। इसमें हापुड़ में 3250, गढ़मुक्तेश्वर में 6546 और पिलखुवा डिवीजन में 2646 किसान प्रभावित है।