जनपद हापुड़ के किसानों ने अब ज्यादा फसल लेने के लिए फसलों को पछेती बोना शुरू कर दिया है। इस बार किसानों ने महंगे रेट के चलते गेहूं और सरसों पर विश्वास जताया।
पछेती सरसों में माहू कीट(चैपा रोग) लगने का खतरा बढ़ रहा है। उत्तर प्रदेश में सरसों की खेती किसानों ने बड़े पैमाने पर की है। रबी सीजन में सरसों की खेती पर मौसम की मार को लेकर किसान परेशान है।
तापमान बढ़ने के साथ चैपा रोग का खतरा सरसों की फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। कड़ाके की ठंड के बाद बीते दनिों मौसम ने करवट ली है। फरवरी के महीने तापमान में बढ़ोतरी हुई है।
फरवरी के महीने तापमान में हुई इस बढ़ोतरी से रबी सीजन की मुख्य फसल सरसों की जान खतरे में पड़ गई है। असल में तापमान में इस बढ़ोतरी से सरसों की फसल पर चैपा रोग लगने का खतरा बढ़ गया है।
बारिश के लिए किसान कर रहा प्रार्थना मौसम में आए परिवर्तन किसानों को झकझोर दिया है। क्योंकि दिन में 22 से 24 डिग्री तक तापमान जाने से फसलों को नुकसान हो सकता है। उसके साथ ही कई रोज से हवा की रफ्तार बढ़ी हुई है। जिसके चलते जो सरसो और गेहूं पछेता हैं उसमें रोग लग जाएगा। किसानों का पछेता गेहूं हल्का रह जाएगा।
कृषि वैज्ञानक डॉ अशोक का कहना है कि तापमान बढ़ने से पछेता गेहूं तथा सरसों को नुकसान होगा। सरसों में चौपा रोग लग सकता है। नीम के तेल का छिडकाव भी किया जा सकता है।
किसानों को नीम के तेल का 5 एमएल प्रति लीटर की दर से छिड़काव करना होगा। अगर सरसों की फसल में कीट लग चुके हैं तो इसके लिए किसान को डाईमेथएट नमक कीटनाशक की 1 लीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना होगा।