जनपद हापुड़ की साइबर सेल टीम व थाना सिम्भावली पुलिस ने अंगूठे का क्लोन बनाकर लोगों के बैंक खातों से धोखाधड़ी करने वाले एक गिरोह का खुलासा किया है। गिरोह फर्जी जनसेवा केंद्र व एईपीएस के माध्यम से लोगों के अंगूठे का क्लोन तैयार करता था।
आरोपी अब तक करीब दो सौ लोगों अपना शिकार बना चुके हैं। यह गिरोह यूपी के गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, हापुड, सिद्धार्थनगर, लखनऊ आदि जनपदों में सक्रिय था।
बुधवार को पुलिस अधीक्षक अभिषेक वर्मा ने बताया कि साइबर सेल टीम व थाना सिम्भावली की टीम ने गिरोह के सरगना विकास सिंह निवासी थाना गोमती नगर जिला लखनऊ और वर्तमान में वह थाना रिपब्लिक क्रॉसिंग जनपद गाजियाबाद में रह रहा था।
जबकि दूसरा व्यक्ति विकास श्रीवास्तव निवासी ग्राम शाहपुर जनपद सिद्धार्थ नगर और वर्तमान पता रोमाना महागुन थाना रिपब्लिक क्रॉसिंग जनपद गाजियाबाद है, को गिरफ्तार कर लिया है।
उनके कब्जे से 1 लाख 17 हजार रुपये, एक लैपटॉप, 8 मोबाइल फोन, एक लग्जरी कार, 5 डेबिट कार्ड, प्रिंटर, 2 फिंगर प्रिंट स्कैनर, डिवाइस, डाटा केबिल, रबर के 40 तैयार फिंगर क्लोन , 4 सिम कार्ड आदि सामान बरामद किया है। पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ की जा रही है।
अब तक आरोपियों द्वारा हापुड़ निवासी जयप्रकाश, लोवीर निवासीग ग्राम हाइकोट राजपुर थाना सिम्भावली व उत्तर प्रदेश के अन्य जनपदों के काफी लोगों के खातों से लाखों रुपये की धनराशि निकाली जा चुकी है।
आरोपियों ने बताया कि अधिकांश धनराशि उन्होंने खर्च कर दी। कार भी उन्होंने इसी तरीके से अर्जित की गई धनराशि से खरीदी है। आरोपी शातिर किस्म के साइबर अपराधी हैं।
आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि रजिस्ट्री विभाग की वेबसाइट से पिछले साल उन्होंने रजिस्ट्री विवरण, विक्रय पत्र हापुड़ व उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों का डाटा डाउनलोड कर रख लिया था। रजिस्ट्री में से अंगूठा निशानी को लैपटॉप की मदद से एडिट कर लिया जाता था।
ऐसे तैयार होता था अंगूठे का क्लोन
पेपर प्रिंटआउट लेकर कांच की सीट पर रखकर उसके ऊपर सादी पिन्नी लगाकर चारों तरफ टेपिंग करने के बाद फोटो पोलीमर जेल डालकर क्लोन तैयार कर लिया जाता था। इसके बाद लोगों के नाम से आनलाइन केवाईसी कराकर एक्टिवेट करा लेते थे।
जनसेवा केंद्र की सुविधा देने वाली बैंक उन्हें यूजर आईडी और पासवर्ड दे देती थी। इससे वे अपने मोबाइल या लैपटॉप में लॉग-इन कर फिंगर प्रिंट डिवाइस में फर्जी तैयार किए गए क्लोन की मदद से धनराशि निकाल लेते थे ।