13 साल बाद फिर सक्रिय हुआ 2012 का शासनादेश, 15 दिन की मिलेगी मोहलत
पिलखुवा। नगर क्षेत्र में तेजी से फैलते अतिक्रमण पर अब प्रशासन ने सख्त रुख अपना लिया है। 13 वर्षों बाद फिर से 2012 के शासनादेश के तहत अतिक्रमण हटाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। इस अभियान में सड़क, पटरी, नाली और सार्वजनिक मार्गों पर अवैध कब्जा करने वालों को पहले चेतावनी दी जाएगी और 15 दिन की मोहलत दी जाएगी। इसके बाद भी कब्जा न हटाने पर बुलडोजर चलाकर खर्च की वसूली की जाएगी।
नगर की 1.38 लाख आबादी, 24 हजार से अधिक भवनों में कब्जा
पिलखुवा नगर की आबादी लगभग 1.38 लाख है और इसमें 24 हजार से अधिक भवन स्थित हैं। नगर के अधिकांश हिस्सों में नालियों से लेकर सड़कों तक कब्जे बने हुए हैं। दुकानदारों ने दुकानों का सामान बाहर तक फैला रखा है, जबकि मुख्य मार्गों पर ठेले-खोमचे यातायात बाधित कर रहे हैं।
2012 में जब यह शासनादेश पहली बार लागू किया गया था, तब कई पक्के निर्माणों को भी ध्वस्त किया गया था। अब एक बार फिर वही प्रक्रिया दोहराई जाएगी।
सर्वे टीम गठित, पहले लाल निशान और फिर नोटिस
नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी इंद्रपाल सिंह ने बताया कि अतिक्रमण हटाने के लिए सर्वे टीम गठित कर दी गई है। यह टीम मुख्य बाजारों, स्कूलों के मार्गों, भीड़भाड़ वाले चौराहों आदि स्थानों पर जाकर अवैध कब्जों की पहचान करेगी।
अधिकारी ने कहा:
“पहले अतिक्रमण पर लाल रंग से निशान लगाए जाएंगे और फिर नोटिस जारी कर 15 दिन का समय दिया जाएगा। तय अवधि के बाद कड़ी कार्यवाही की जाएगी।”
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पूर्व में भी हुई थी सख्त कार्यवाही
2012 में भी इस शासनादेश के तहत कई स्थानों पर पक्के निर्माण तक गिराए गए थे। उस समय नगर में व्यापक विरोध भी हुआ था, लेकिन अतिक्रमण पर नियंत्रण पाने में कुछ हद तक सफलता मिली थी। अब एक बार फिर वही कठोर रुख अपनाया जा रहा है।
निष्कर्ष:
नगर प्रशासन की यह पहल जनहित और ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने की दिशा में महत्वपूर्ण है। हालांकि, यह भी ज़रूरी है कि अवैध कब्जों से प्रभावित लोगों को वैकल्पिक समाधान और समुचित संवाद के ज़रिए राहत दी जाए, जिससे संघर्ष की स्थिति पैदा न हो।