हापुड़। परिवहन निगम ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को जोड़ने के लिए लगातार प्रयासरत है, लेकिन हापुड़ डिपो में चालकों और परिचालकों की भारी कमी के कारण यह कोशिशें अधूरी रह जा रही हैं। कर्मियों की कमी के चलते प्रतिदिन 20 से 25 रोडवेज बसें संचालन से वंचित रह जाती हैं, जिससे यात्रियों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
हापुड़ डिपो से लखनऊ, बरेली, सीतापुर, हरिद्वार, आगरा, दिल्ली, नोएडा, किठौर, मोदीनगर सहित कई प्रमुख मार्गों पर कुल 136 बसें चलाई जाती हैं, जिनमें 122 निगम की और 14 अनुबंधित बसें शामिल हैं। हालांकि अधिकांश बसों का संचालन संविदा पर रखे गए चालकों और परिचालकों के भरोसे है।
प्रमुख मार्गों पर बसों की कमी
हर दिन हजारों की संख्या में छात्र, व्यापारी और नौकरीपेशा लोग हापुड़ से दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद जैसे शहरों के लिए सफर करते हैं, लेकिन उपलब्ध बसों की तुलना में यात्रियों की संख्या अधिक होने से यात्रियों को लंबे इंतजार और भीड़भाड़ का सामना करना पड़ता है।
स्टाफ की स्थिति
हापुड़ डिपो में फिलहाल 34 स्थायी चालक और 190 संविदा चालक कार्यरत हैं, जबकि परिचालकों की संख्या 14 स्थायी और 203 संविदा कर्मचारियों तक सीमित है। डिपो में सुचारु संचालन के लिए 265 चालकों और 293 परिचालकों की आवश्यकता है, लेकिन अभी भी लगभग 40 चालकों और 75 परिचालकों की कमी बनी हुई है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
हापुड़ डिपो के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक रणजीत सिंह ने बताया, “डिपो में बसों की संख्या पर्याप्त है, लेकिन चालकों और परिचालकों की कमी के कारण हम सभी बसों का संचालन नहीं कर पा रहे हैं। इससे यात्रियों को भी असुविधा हो रही है और डिपो की आय पर भी नकारात्मक असर पड़ा है।”
निष्कर्ष
चालकों और परिचालकों की जल्द भर्ती के बिना यात्री सुविधाओं में सुधार मुश्किल है। जरूरत है कि परिवहन निगम इस समस्या का त्वरित समाधान करे, जिससे न केवल यात्री राहत महसूस करें, बल्कि विभाग की आय भी प्रभावित न हो।