हापुड़/गढ़मुक्तेश्वर। गंगा नदी के जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि के चलते गढ़मुक्तेश्वर तहसील के 26 गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। प्रशासन ने संभावित खतरे को देखते हुए इन गांवों को तीन श्रेणियों में विभाजित कर आवश्यक तैयारियां शुरू कर दी हैं। आठ गांवों को हाईअलर्ट श्रेणी में रखा गया है, जबकि पांच स्थानों पर बाढ़ राहत चौकियां स्थापित की जा रही हैं।
25 हजार आबादी खतरे की जद में
इन 26 गांवों में करीब 25 हजार ग्रामीणों की आबादी निवास करती है, जो हर साल पहाड़ों पर बारिश के बाद गंगा के बढ़ते जलस्तर की चपेट में आ जाती है। जिला प्रशासन ने बाढ़ राहत और बचाव कार्यों के लिए राजस्व विभाग की पांच टीमें गठित की हैं और एनडीआरएफ की ड्यूटी भी 1 जुलाई से प्रभावित गांवों में लगाई जाएगी।
बाढ़ के दुष्प्रभाव: बीमारी, फसल क्षति और चारे की किल्लत
जलभराव और जलस्तर बढ़ने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रामक बीमारियों का प्रकोप, पशुओं के चारे की कमी और फसलों की बर्बादी जैसे गंभीर हालात बनते हैं, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। प्रशासन की ओर से लाइफ जैकेट, मोटरबोट और साउंड सिस्टम जैसे राहत उपकरणों को गढ़ क्षेत्र में भेजा जा रहा है।
प्रभावित गांवों की सूची:
मध्य स्तर पर प्रभावित गांव:
- गडावली (छोटी व बड़ी)
- नया बास – बख्तावपुर
- आलमपुर भगवंतपुर
- ऐदलपुर प्रसादीपुर
- हकीमपुर गावड़ी
- कुतुबपुर
- जमालपुर
- खानपुर माखनपुर
- सैदपुर
- मुकीमपुर
निम्न स्तर पर हर साल प्रभावित गांव:
- इनायतपुर
- अब्दुल्लापुर
- कोथला
- रामपुर न्यामतपुर
- आलमगीरपुर
- मोहम्मदपुर शाकरपुर
- लठीरा
- गढ़ खादर (शेरावाली मडैया)
प्रशासन पूरी तरह अलर्ट
एडीएम संदीप कुमार ने बताया:
“अभी बाढ़ जैसे हालात नहीं हैं, लेकिन प्रशासन पूरी तरह सतर्क है। 1 जुलाई से लेखपाल, कानूनगो और ग्राम पंचायत सचिवों की ड्यूटी गांवों में लगाई जाएगी, ताकि आपात स्थिति में त्वरित राहत और बचाव कार्य किया जा सके।”
विशेष: प्रशासन की सक्रियता से ग्रामीणों को राहत की उम्मीद बंधी है, लेकिन जलस्तर की स्थिति पर निगरानी रखना और समय से कदम उठाना ही इस संकट से बचाव का प्रमुख उपाय है।