ब्रजघाट। पहाड़ों पर लगातार तेज गर्मी और ग्लेशियरों के पिघलने से गंगा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे खादर क्षेत्र के निचले जंगलों और खेतों में सैकड़ों बीघा मौसमी फसलें तबाह हो गई हैं। इस प्राकृतिक आपदा से किसानों में बेचैनी और चिंता का माहौल है।
तीन दिन से लगातार बढ़ रहा जलस्तर
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे गंगा में जल का प्रवाह बढ़ गया है। बीते तीन दिनों में गंगा का जलस्तर लगातार 10 सेंटीमीटर तक बढ़ चुका है। सोमवार शाम तक गढ़ ब्रजघाट गंगा का जलस्तर 196.90 मीटर पर दर्ज किया गया।
फसलें हुई बर्बाद, भूमि कटान का भी खतरा
गंगा किनारे उगाई जा रही खीरा, ककड़ी, लोकी, सीताफल, खरबूजा, तरबूज, करेला, टमाटर, भिंडी, तोरी आदि मौसमी सब्जियों की फसलें जलमग्न हो चुकी हैं। पानी के लगातार भराव से गन्ने और हरे चारे की फसल भी खतरे में है।
इसके अलावा जलस्तर बढ़ने से गंगा किनारे भू-कटाव भी शुरू हो गया है, जिससे किसानों की कीमती भूमि के बह जाने का डर सता रहा है।
प्रशासन की निगरानी में हालात
एसडीएम अंकित कुमार वर्मा ने बताया कि यह स्थिति प्राकृतिक है और गर्मी के मौसम में ग्लेशियरों के पिघलने के चलते जलस्तर में बढ़ोतरी सामान्य प्रक्रिया है। हालात पर नजर रखने के लिए हल्का लेखपाल और राजस्व टीम को सतर्क किया गया है, जो क्षेत्र की स्थिति पर निगरानी बनाए हुए हैं।