गढ़मुक्तेश्वर। क्षेत्र में बिना किसी आधिकारिक अनुमति के व्यावसायिक रूप से स्वीमिंग पूल संचालित किए जा रहे हैं। न केवल ये पूल सुरक्षा मानकों को ताक पर रखकर चल रहे हैं, बल्कि इनमें अधाधुंध जल दोहन कर प्राकृतिक संसाधनों का भी दोहन किया जा रहा है। प्रशासन की अनदेखी से संचालकों के हौसले बुलंद हैं और सरकारी राजस्व को भी बड़ा नुकसान हो रहा है।
न अनुमति, न सुरक्षा, फिर भी संचालन जारी
गाइडलाइन के अनुसार स्वीमिंग पूल के संचालन के लिए जिला क्रीड़ाधिकारी, स्वास्थ्य विभाग और उपजिलाधिकारी (एसडीएम) से अनुमति लेना अनिवार्य है। साथ ही पूल में प्रशिक्षित प्रशिक्षक, फिल्ट्रेशन सिस्टम और सुरक्षा उपकरणों की मौजूदगी जरूरी होती है। मगर क्षेत्र में संचालित अधिकांश स्वीमिंग पूल सिर्फ व्यवसायिक मुनाफे के लिए बनाए गए हैं, जिनका न कोई लाइसेंस है न ही तकनीकी मानक पूरे किए गए हैं।
इन पूलों में रोजाना लाखों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है। ग्रीष्मकाल में जब पीने के पानी तक की किल्लत हो, ऐसे में इन पूलों का संचालन नैतिक और कानूनी रूप से गंभीर प्रश्न खड़े करता है।
प्रशासन ने दी कार्यवाही की चेतावनी
इस मामले में एसडीएम अंकित वर्मा ने बताया कि किसी भी स्वीमिंग पूल के संचालन की अनुमति उनके कार्यालय से नहीं दी गई है। उन्होंने कहा:
“स्वीमिंग पूल के लिए हमारे कार्यालय से कोई अनुमति नहीं ली गई है। अवैध रूप से चल रहे पूलों की जांच कराई जाएगी और संबंधित लोगों पर वैधानिक कार्यवाही की जाएगी।”
— अंकित वर्मा, एसडीएम गढ़मुक्तेश्वर
जनता और पर्यावरण दोनों को खतरा
स्थानीय लोगों का कहना है कि इन अवैध पूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी कोई इंतजाम नहीं है। न कोई गार्ड, न लाइफ जैकेट और न ही आपातकालीन चिकित्सा सुविधा। कई पूल आबादी के बीच स्थित हैं, जिससे संक्रमण फैलने और दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस गंभीर मामले में सख्त कार्यवाही कब तक करता है, या फिर यह अवैध धंधा यूं ही निर्बाध चलता रहेगा।