हापुड़। विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुकी बूढ़ी गंगा नदी को अब जिला प्रशासन फिर से जीवनदान देने की तैयारी में है। सिंचाई विभाग की मदद से नदी की सफाई कराई जाएगी, वहीं किनारों पर हो रहे अवैध कब्जे हटाकर पौधरोपण भी कराया जाएगा। इसके साथ ही नदी की सतत देखरेख के लिए स्थानीय ग्रामीणों की एक समिति बनाई जाएगी।
90 किलोमीटर लंबी ऐतिहासिक नदी
बूढ़ी गंगा नदी का उद्गम शुक्रतीर्थ के निकट देवल ग्राम से होता है और यह लगभग 90 किलोमीटर का सफर तय कर हापुड़ जनपद के स्वर्गद्वारी पुष्पावती पूठ ग्राम गंगा में मुख्य गंगा नदी से मिल जाती है।
इसकी लगभग सात किलोमीटर की लंबाई हापुड़ जिले में है। यह नदी जनपद के कल्याणपुर, मुकीमपुर, कोथला, भगवंतपुर, कुतुबपुर, प्रसादीपुर, एदलपुर, माखनपुर, इनायतपुर, शाकरपुर, रामपुर न्यामतपुर, चक लठीरा, गडावली, नयाबांस जैसे गांवों से होकर गुजरती है।
बाढ़ से बचाव में निभाती है अहम भूमिका
मानसून के दौरान जब गंगा में जलस्तर अधिक होता है, तब बूढ़ी गंगा नदी बाढ़ के पानी को अपने में समाहित कर निचले क्षेत्रों को बाढ़ से बचाने का काम करती है। यही वजह है कि यह नदी न केवल आस्था, बल्कि सुरक्षा के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है।
कुछ वर्ष पूर्व ग्रामीणों ने लगभग 13 लाख रुपये चंदा इकट्ठा कर नदी से अतिक्रमण हटवाया और उसकी सफाई कराई थी, जिससे उस साल क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति नहीं बनी थी।
प्रशासन ने लिया पुनर्जीवन का निर्णय
अब प्रशासन इस नदी को स्थायी रूप से संरक्षित करने की दिशा में सक्रिय हुआ है। इस संबंध में मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) हिमांशु गौतम ने बताया:
“बूढ़ी गंगा की सफाई सिंचाई विभाग द्वारा कराई जाएगी। अतिक्रमण हटवाकर नदी के दोनों ओर पौधरोपण कराया जाएगा और ग्रामीणों की एक समिति बनाकर इसकी देखरेख सुनिश्चित की जाएगी। जल्द ही इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।”
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संगम नगरी के रूप में पहचान
बूढ़ी गंगा एक प्राचीन धार्मिक धरोहर भी है, जो एक तरफ शुक्रतीर्थ से निकलती है और दूसरी ओर गंगा में मिलती है। यही कारण है कि इसे हापुड़ जिले को “संगम नगरी” बनाने वाली नदी भी कहा जाता है।