हापुड़। गुरुवार को बर्ड फ्लू यानी एवियन एन्फ्लूएन्जा टास्क फोर्स की बैठक मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में विकास भवन सभागार में आयोजित की गयी। जिसमें अपर निदेशक ग्रेड-2. पशुपालन विभाग, मेरठ, मुख्य चिकित्साधिकारी, अधिशासी अभियंता सिंचाई विभाग, समस्त उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, पशु चिकित्साधिकारी, डा. ओपी मिश्रा, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी एवं अन्य सम्बन्धित अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी द्वारा अवगत कराया गया कि शहीद अशफाक उल्ला खाँ प्राणी उद्यान जनपद गोरखपुर के टाइगर में H5 एवियन इन्फ्लूएन्जा वायरस के पाजीटिव होने की पुष्टि के क्रम में शासन द्वारा एवियन इन्फ्लूएन्जा बर्ड फ्लू बीमारी से बचाव हेतु आवश्यक तैयारियों के निर्देश दिये गये हैं। पशुपालन, स्वास्थ्य, वन एवं पर्यावरण, सिंचाई, राजस्व, कर एवं निबन्धन, पंचायती राज, नगर निकाय एवं सूचना विभाग, उत्तर प्रदेश के सदस्यों की एक संयुक्त टास्क फोर्स गठित की गयी है।
समस्त विभागों के द्वारा बर्ड फ्लू रोग के समय सम्पादित किये जाने वाले कार्यों की विस्तृत व्याख्या की गयी तथा बर्ड फ्लू एक्शन प्लान से सभी को अवगत कराया गया कि यह एवियन इन्फ्लूएन्जा बीमारी है, यह एक विषाणु जनित वायरल इन्फेन्कशन है। विषाणु वर्तमान में H5 प्रकृति का है। यह आरएनए टाईप ए वायरस है। इसके तीन एन्टीजन टाईप ए बी तथा सी होते हैं। बी एवं सी मनुष्यों में इन्फ्लुएन्जा रोग के प्रमुख कारण हैं।
टाईप ए पक्षियों में तथा मनुष्यों, सूकरों, घोडे तथा बन्दरों में भी रोग उत्पन्न करते हैं। बर्ड फ्लू प्रभावित पक्षियों की प्रजातियां यथा-घरेलू पक्षी प्रजातियां, मुर्गी, जंगली पक्षी, माईग्रेटरी पक्षी हैं। पक्षियों में बर्डफ्लू बीमारी के प्रमुख लक्षण जैसे-पक्षियों के आंख एवं नाक से लाल रंग का पानी आना, हरे व लाल रंग का पतला दस्त बीट पक्षी को ज्वर आना, कलंगी, वाटल व पैरों का बैंगनी हो जाना, पक्षियों के गर्दन तथा आंखों के निचले हिस्से में सूजन, अण्डा उत्पादन कम, श्वास लेने में कठिनाई, छींक, खांसी एक जगह बैठे रहना सिर एवं गर्दन में सूजन आदि हो जाना। प्रभावित पक्षियों में मृत्यू दर 50 से 100 तक होती है।
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी द्वारा बर्ड फ्लू रोग से बचाव हेतु सुझाव दिये गये कि बायोसिक्योरिटी, साफ-सफाई रखना, मुर्गी, बत्तख, मछली तथा सूकर पास-पास न पालें, बीमार पक्षियों के बीट से बचें, मृत प्रवासी पक्षियों से, प्रभावित कुक्कुट प्रक्षेत्रों से तथा एचपीएआई से ग्रसित पक्षियों के शव विच्छेदन से बचें, यदि कुक्कुट पालन का कार्य पूरी बायोसिक्योरिटि अपनाते हुए संतुलित आहार, स्वस्थ चूजों, उत्तम रख-रखाव विधि से किया जाये तथा मृत पक्षियों का डिस्पोजल, डिस्पोजल पिट में किया जाये तथा बीमार पक्षियों तुरन्त निकाल दिया जाये तो रोग की सम्भावना कम हो जाती है। वर्तमान में जनपद में बर्ड फ्लू का कोई केस नहीं है। पशुपालन विभाग की पूरे जनपद में पांच रेपिड रेसपॉन्स टीम गठित की गयी हैं जिनके द्वारा जनपद के समस्त पोल्ट्री फार्मों की नियमित जांच कर सैम्पल मण्डलीय प्रयोगशाला में भेजे जा रहे हैं।
मुख्य विकास अधिकारी महोदय द्वारा निर्देशित किया गया कि बर्ड फ्लू रोग के सम्बन्ध में समस्त विभाग अपनी तैयारियां पूर्ण रखें तथा आम जन मानस को बर्ड फ्लू रोग के सम्बन्ध में अधिक से अधिक जानकारी प्रदान करें एवं जनपद के समस्त पोल्ट्री फार्म मालिकों की बैठक कर उन्हें बर्ड फ्लू के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी दी जाये।