हापुड़ – वर्ष 1997 में थाना गढ़मुक्तेश्वर क्षेत्र में दर्ज एक पुराने अवैध हथियार रखने के मामले में बुधवार को न्यायालय ने आरोपी को दोषी ठहराते हुए 2 दिन की जेल और 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया। यह मामला लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आज अपने निर्णायक मुकाम पर पहुंचा, जिसमें हापुड़ पुलिस की सतर्कता और प्रभावी पैरवी ने निर्णायक भूमिका निभाई।
पुराना केस, नई उम्मीद
इस मामले में आरोपी राजकुमार पुत्र नौरंग निवासी ग्राम दौताई पर आरोप था कि उसने अवैध रूप से हथियार रखा था। पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार, उस वक्त थाना गढ़मुक्तेश्वर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया था। आरोपी को गिरफ्तार कर पूरे मामले की जांच-पड़ताल की गई, जिसके बाद न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया गया।
न्यायालय ने माना दोषी
सहायक शासकीय अधिवक्ता के अनुसार, साक्ष्यों और गवाहों की सुनवाई के बाद अदालत ने आरोपी को दोषी पाया। जुर्म इकबाल के आधार पर आरोपी को जेल में बिताई गई अवधि के साथ 2 दिन की सजा और 1,000 रुपये के अर्थदंड से दंडित किया गया। कोर्ट के इस फैसले ने यह स्पष्ट किया कि समय कितना भी लंबा क्यों न हो, न्यायिक प्रक्रिया अंततः सही मायने में निष्पक्ष रहती है।
पुलिस की कड़ी मेहनत रंग लाई
पुलिस अधीक्षक कुंवर ज्ञानंजय सिंह ने कहा कि ऐसे पुराने मामलों को भी पुलिस विभाग प्राथमिकता देता है। उन्होंने बताया कि हर अपराधी को कानून के दायरे में लाने का प्रयास जारी है और अपराध मुक्त समाज बनाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।
समाज के लिए संदेश
यह फैसला न केवल एक आरोपी के खिलाफ सुनाया गया है, बल्कि समाज में इस बात का संदेश भी गया है कि अवैध असलहा रखने वालों को कानून बख्शता नहीं है। इस निर्णय से भविष्य में भी इस तरह के अपराध कम होंगे और कानून का डर बढ़ेगा।
न्याय व्यवस्था पर बढ़ा भरोसा
आम जनता ने इस फैसले को स्वागत किया है और कहा कि न्यायालय और पुलिस की कार्यप्रणाली से समाज में विश्वास बढ़ा है। उन्होंने कहा कि समय के साथ भी कानून की जीत हो रही है, जो देश की न्याय व्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है।