हापुड़। उत्तर प्रदेश अभिभावक महासंघ ने निजी स्कूलों पर अनुचित तरीके से फीस बढ़ाने और एनसीईआरटी की जगह निजी प्रकाशकों की किताबें लगाने का आरोप लगाते हुए डीएम को ज्ञापन सौंपकर कार्यवाही की मांग की। अभिभावकों के अनुसार जिस दुकान से किताबें लेने को कहा जाता है, वहीं संबंधित किताबें मिलती हैं।
नर्सरी से लेकर बारहवीं तक की कक्षाओं के कोर्सेज के रेट आसमान छू रहे हैं। अभिभावकों का कहना है कि न तो मजदूरी में बढ़ोत्तरी हो रही है, न ही मासिक वेतन में कोई इजाफा हो रहा है। हां हर साल बच्चों की फीस से लेकर कोर्सेज के दामों में जरूर बढ़त देखने को मिलती है।
महासंघ के जिलाध्यक्ष शरद कुमार गर्ग ने कहा कि निजी विद्यालयों द्वारा प्रत्येक वर्ष फीस में वृद्धि की जाती है। यहां तक कि एनसीईआरटी की पुस्तकें न लगाकर निजी प्रकाशकों की महंगी पुस्तकें लगाई जा रही हैं। वह भी किसी एक दुकान विशेष पर ही मिलती हैं। यह शुल्क अधिनियम 2018 का उल्लंघन है। यही स्थिति निजी विद्यालयों की यूनिफार्म में भी है।
इसलिए प्रत्येक निजी विद्यालय में एनसीईआरटी की किताबें लगाई जाएं और किताबों की सूची सार्वजनिक की जाए। जिन अभिभावकों ने बाध्य होकर निजी प्रकाशकों की किताबें खरीद ली हैं, उन्हें एनसीईआरटी व निजी प्रकाशकों के मूल्य में जो फर्क है, उसका भुगतान विद्यालयों द्वारा कराया जाए। साथ ही निजी प्रकाशकों की किताबें लगाने की भी जांच होनी चाहिए।
जिला महामंत्री योगेंद्र अग्रवाल मोनू ने कहा कि निजी प्रकाशकों की जो पुस्तकें निजी विद्यालय द्वारा लगाई गई हैं, उन पर एमआरपी बहुत अधिक है। अभिभावकों को मांगने पर भी पक्का बिल नहीं दिया जा रहा है। जिससे साफ है कि जीएसटी की चोरी करके सरकार को चूना लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विद्यालयों द्वारा संचालित सभी वाहनों का प्रयोग छात्र-छात्राओं को लाने-ले जाने के लिए किया जाता है। ऐसे वाहनों की फिटनेस की जांच हो।