हापुड़। मजबूरी में ही सही, लेकिन बाल श्रम आज भी गरीबी का कड़वा सच है। मजबूरी में गरीब बच्चे परिवार के साथ खड़े होने के लिए दुकानों, ठेलों पर नौकरी करने को मजबूर हैं। बच्चे स्कूलों में पढ़ाई के बजाय परिवार की जिम्मेदारी संभाल रहे है। जबकि, यह कानून के विरुद्ध है।
नाबालिग से किसी प्रकार का श्रम नहीं कराया जा सकता है। तमाम जागरूकता अभियान और कार्यवाही के बाद भी जिले की सड़कों पर खुलेआम बाल श्रम होते दिखाई देता है। यह बच्चे स्कूलों में पढ़ाई की जगह बाल श्रम कर रहे हैं।
बालश्रम की समस्या एक गंभीर चुनौती है। जिसकी जड़ मूल रूप से गरीबी है। बालश्रम के ही कारण बच्चे शिक्षा से वंचित हो जाते हैं। बच्चों का बचपन बालश्रम में गुजर रहा हैं। हर तरफ गरीबी और मजबूरी तले कुचलते बचपन की दास्तां हैं।
कुछ लोगों का बचपन गरीबी में में पेट भरने की जद्दोजहद में काम के बोझ तले दबकर रह जाता है। जिले के रेस्तरां, ढाबों और दुकानों समेत अन्य जगहों पर छोटे -छोटे बच्चों को बाल मजदूरी करते खुलेआम देखा जा सकता है। नाबालिग बच्चों से काम कराना अपराध की श्रेणी में आता है, लेकिन सब कुछ देखकर भी पुलिस-प्रशासन से लेकर अन्य संस्थाएं मौन बनी रहती हैं।
जनपद में दुकानदार, होटल, कारखाना व अन्य फर्म संचालक चंद रुपये देकर मासूम बच्चों से बालश्रम कराते हैं। कहीं मासूमों के अभिभावकों की मजबूरी के चलते वह बाल मजदूरी करते हैं। जबकि, बचपन में इन बच्चों को खेलना-कूदना व पढ़ना-लिखना चाहिए। बावजूद इसके पुलिस-प्रशासन लापरवाही बरतते हुए इस अपराध को रोकने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं कर रहे हैं।
श्रम विभाग द्वारा बाल मजदूरी पर अंकुश लगाने के लिए नई-नई योजनाएं बनाई जा रही हैं, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के चलते योजनाएं धरातल पर दिखाई नहीं देती।
सहायक श्रमायुक्त सर्वेश कुमारी- ने बताया की हमारी टीम लगातार अभियान चला रही हैं। बाल श्रम कराने पर संबंधित के विरुद्ध कार्यवाही कर जुर्माना भी लगाया है।