हापुड़ जिले की 25 फीसदी ग्राम पंचायतों के पास ही फॉगिंग मशीन उपलब्ध हैं। इसका खुलासा मंगलवार को विशेष संचारी रोग नियंत्रण, दस्तक अभियान की समीक्षा बैठक में हुआ। डीपीआरओ का जवाब सुन डीएम भी हैरान रह गई और तत्काल मशीन खरीदने के निर्देश दिए। जबकि, अब तक अधिकारी दावा करते हैं कि ग्राम पंचायतों में हर दिन फॉगिंग हो रही है, जबकि हालात इससे बिल्कुल उलट हैं। तो बिना मशीनों के फॉगिंग किस प्रकार कराई जा रही है।
जिला मुख्यालय के सभागार कक्ष में मंगलवार को संचारी रोग नियंत्रण/दस्तक अभियान की समीक्षा बैठक हुई। डीएम प्रेरणा शर्मा ने जिले में काम कर रहीं निगरानी एजेंसियों की फीडबैक रिपोर्ट ली।
इस पर जिला मलेरिया अधिकारी सतेंद्र कुमार ने बताया कि सभी विभागों की गतिविधियों में अच्छा सुधार हुआ है। शत-प्रतिशत तक उपलब्धियां विभाग को मिली हैं। इस पर डीएम ने मॉनिटरिंग एजेंसियों को फोटो, वीडियो के साथ ही कार्यों की निगरानी करने का निर्देश दिया। बैठक में गांवों में फॉगिंग को लेकर जानकारी की गई। साथ ही फॉगिंग मशीनों की स्थिति पूछी गई। इस पर डीपीआरओ ने बताया कि जिले की 25 प्रतिशत ग्राम पंचायतों के पास ही फागिंग मशीन उपलब्ध है।
डीएम ने मशीनें खरीदने के साथ ही अधिशासी अधिकारी को निर्देश दिए कि जले हुए मोबिल ऑयल को जलभराव वाले स्थानों में डालकर मच्छरों के प्रजनन को रोका जाए। साथ ही सीएमओ से संचारी रोगों के विषय में जानकारी ली गई। बैठक में सीएमओ डॉ सुनील कुमार, जिला विकास अधिकारी देवेंद्र कुमार के अतिरिक्त अन्य विभाग के अधिकारी मौजूद रहे।
जिले में 273 ग्राम पंचायतें —
जनपद में 273 ग्राम पंचायतें हैं। प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक से तीन गांव तक शामिल हैं। ऐसे में हर दिन गांवों में फॉगिंग कराना बहुत अधिक मुश्किल है। जबकि, विभागीय अधिकारी दावा करते हैं कि वह गांवों में फॉगिंग करा रहे हैं। बिना मशीनों के फॉगिंग किस प्रकार कराई जा रही है। इस पर अब सवाल खड़ा हो रहा है।