जनपद हापुड़ के ऊर्जा निगम में करीब 650 करोड़ का नलकूप बिल घोटाला अब अफसरों के गले की फांस बन गया है। किसानों को गुमराह करने वाले अफसरों की कोर्ट में हाजिरी लगने की तैयारी है।
वर्ष 1986 के बाद से ऊर्जा निगम के हापुड़ और गढ़ डिवीजन कार्यालय में किसानों से नलकूप बिलों का पैसा जमा करा लिया गया। लेकिन यह पैसा राजस्व कोष में जमा नहीं हो पाया। वर्ष 2017 में जब ऑनलाइन बिल जमा करने की सुविधा शुरू हुई, तो किसानों के बिलों में लाखों की फर्जी बकायेदारी जुड़कर आने लगी। आज की तिथि में करीब 12 हजार किसान इस घपले का दंश झेल रहे हैं।
हाईकोर्ट में किसानों का केस लड़ रहे अधिवक्ता अमूल कुमार त्यागी ने बताया कि गांव खड़खड़ी निवासी मुकेश त्यागी, अतराड़ा निवासी निरंजन त्यागी, सूदना निवासी सतीश त्यागी और रजपुरा निवासी क्रांति प्रसाद त्यागी ने मेरठ उपभोक्ता व्यथा फोरम में जमा रसीदों के साक्ष्य समेत रिट दायर की थी। कोर्ट ने बकायेदारी को मिथ्या मानकर बिलों से इसे हटाने के आदेश दिए थे।
लेकिन अधिकारियों ने आदेश का पालन नहीं किया, इसके बाद किसानों ने लोकपाल का दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां से भी राहत नहीं मिली। मामला लखनऊ के विद्युत नियामक आयोग तक पहुंचा, यहां दो न्यायाधीशों की बेंच ने बिलों में जुड़कर आ रही बकायेदारी को गलत माना, अधिशासी अभियंता को बिल संशोधित करने के आदेश दिए।
इस आदेश पर किसान मुकेश कुमार, निरंजन त्यागी, सतीश त्यागी के बिलों को संशोधित कर दिया गया। लेकिन क्रांति प्रसाद त्यागी के बिल में 29 हजार की बकायेदारी संशोधित नहीं की गई।
इस मामले में क्रांति त्यागी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, रिट याचिका पर कोर्ट ने तीन महीने में बिल संशोधित करने के आदेश दिए। लेकिन किसान का बिल संशोधित नहीं हो पाया। अधिवक्ता अमूल त्यागी ने बताया कि अब हाईकोर्ट ने अधिशासी अभियंता मनोज कुमार को अवमानना का दूसरा नोटिस जारी कर, चार सप्ताह का समय दिया है।
साथ ही फटकार लगाते हुए कहा है कि आदेशों का पालन न करने पर क्यों आपकी सर्विस बुक में बेड एंट्री की जाए, साथ ही अधिशासी अभियंता से पूछा है कि आपके ऊपर कितनी अवमानना की कार्यवाही चल रही हैं।