जनपद हापुड़ के पिलखुवा शहर के पास गांव अतरौली के गजेंद्र सिंह प्रजापति का परिवार शिक्षा और समाज में नई मिसाल कायम कर रहा है। गजेंद्र सिंह शहर के मोहल्ला कृष्णगंज स्थित पुष्पांजलि खादी भंडार के प्रोपराइटर हैं। उन्होंने अपने तीन बेटों को उच्च शिक्षा दिलाई और अपने बेटे की बिना दहेज के प्रगतिशील विवाह कर समाज में एक नई पहचान बनाई है।
भारत विवधताओं का देश है, यह कई संस्कृति और सभ्यताओं का देश भी है। भारत जहां अपनी विशाल संस्कृति के लिए महान देश कहलाता है, वहीं यहां की कुछ रिति-रिवाज एक बड़ी समस्या भी है। देश के कुछ हिस्सों में बाल विवाह एक बड़ी समस्याएं है, उससे भी बड़ी समस्या पूरे देश के लिए दहेज प्रथा है। दहेज प्रथा जैसी कुरीति को समाज से हटाने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि इसके बारे में जागरूकता फैलाई जाए।
गजेंद्र सिंह के तीन बेटों में सबसे बड़े सतीश कुमार ने परिवार के व्यवसाय को संभालते हुए पिता की देखरेख में काम किया। दूसरे बेटे प्रवीन कुमार ने दिल्ली के आचार्य नरेंद्रदेव कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की और बंगलुरू सिटी कॉलेज से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट क्वालिफाई किया और चेन्नई से पीएचडी की उपलब्धि हासिल की।
तीसरे बेटे दीपक कुमार ने भी शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की। उन्होंने भी पीएचडी की उपाधि प्राप्त की और समाज में शिक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई। दूसरे बेटे प्रवीण कुमार ने 14 फरवरी को बिना किसी दहेज के कानपुर की मृदुला से विवाह किया, जो खुद चंडीगढ़ से पीएचडी की उपाधि धारक हैं।
यह विवाह हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार संपन्न हुआ और समाज में बिना दहेज के शादी की एक नई मिसाल कायम की। समाज के लोगों ने इस परिवार की सराहना करते हुए इसे समाज के लिए गौरव की बात बताई। गजेंद्र सिंह ने बताया कि शिक्षा और संस्कार ही वह माध्यम हैं जो समाज को नई दिशा दे सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बिना दहेज के विवाह जैसे प्रगतिशील कदम समाज में समानता और भाईचारे को बढ़ावा देते हैं। उनका परिवार न केवल शिक्षा के क्षेत्र में बल्कि सामाजिक मूल्यों को बढ़ावा देने में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। उनके इस प्रयास ने समाज को एक नई दिशा देने का काम किया है।