हापुड़ में कड़ाके की सर्दी के बाद अचानक मौसम गर्म होने से त्वचा में सूखापन (ड्राइनेस) होने से खुजली और लाल चकत्ते की समस्या बढ़ गई है। त्वचा रोग विभाग की ओपीडी में इस समस्या के मरीजों की संख्या में पांच गुना इजाफा हुआ है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक इससे पीड़ित हैं। खुजली के कारण नींद तक
नहीं आ रही हैं।
मौसम में तापमान बढ़ने या घटने का असर सेहत पर काफी जल्दी पड़ता है, इसलिए जब मौसम में बदलाव हो तो देखभाल की जरूरी अधिक होती है। जैसे-जैसे मौसम गर्म से ठंडा होने लगता है, वैसे-वैसे हवा में नमी कम हो जाती है। इससे हमारी त्वचा शुष्क और रूखी होने लगती है। अधिक गर्म पानी से नहाने, रूम हीटर में अधिक रहने से भी ऐसा होता है।
त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. अमरजीत सिंह ने बताया कि इस सूखापन का असर सबसे ज्यादा हमारी त्वचा पर पड़ता है। जिसके कारण त्वचा सूखी, रूखी और तनी हुई महसूस होती है। बाद में उस पर खुजली होने लगती है। यह खुजली इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि व्यक्ति रात में सो तक नहीं पाता है।
सर्दी के सीजन को छोड़ दें तो अन्य दिनों में यह बीमारी बुजुर्गों को होती है, क्योंकि 60 साल से अधिक आयु के लोगों की त्वचा में सूखापन आने लगता है। मगर ठंड के दिनों में हर उम्र के लोग ड्राइनेस की समस्या का शिकार हो जाते हैं।
उन्होंने बताया कि दिसंबर तक त्वचा में ड्राइनेस की समस्या लेकर महज आठ से 10 मरीज आते थे। अब ऐसे मरीजों की संख्या पांच गुना से अधिक है। जब बैक्टीरियल इंफेक्शन हो जाता है तो त्वचा में खुजली करने पर पानी भी आने लगता है। जैसे-जैसे पानी त्वचा के अन्य हिस्से में फैलता जाता है। वैसे-वैसे बीमारी भी बढ़ती जाती है। उन्होंने बताया कि ये बीमारी ठीक होने में दो से तीन सप्ताह लेती है। उधर, जिला अस्पताल और सीएचसी में त्वचा रोगियों की प्रतिदिन की संख्या 400 से अधिक है, जो पहले 80 से 100 के आसपास थी।