फेफड़े सिकुड़ने के बढे मामले, दस साल तक के बच्चे आ रहे चपेट में
हापुड़। जलवायु परिवर्तन का असर दस साल तक के बच्चों पर ज्यादा देखने को मिल रहा है। फेफड़े सिकुड़ने के मामले बढ़े हैं।
सरकारी अस्पताल की नर्सरी में पांच महीने के अंदर तीन बच्चों की मौत श्वसन संकट सिंड्रोम (आरडीसी) की वजह से हुई है।
स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. दिनेश खत्री बताते हैं कि दस साल पहले के वातावरण पर गौर करें तो पूस के महीने में इन दिनों में ओस अधिक होती थी लेकिन इन दिनों ओस की जगह स्मॉग दिखता है।
वातावरण में स्मॉग के कारण ऑक्सीजन का स्तर भी कम हुआ है। वातावरण में घुटा प्रदूषण सांस की नली में सूजन बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि पहले सर्दियों में बच्चों के गाल व नाक लाल हो जाया करती थी, लेकिन इन दिनों कोल्ड स्ट्रोक का अटैक हो रहा है।
बच्चों के शरीर पर सर्दी के कारण दाने बन रहे हैं। निमोनिया पहले के मुकाबले काफी बढ़ गया है। बच्चे चिड़चिड़े हो रहे हैं, खानपान में भी उनकी दिलचस्पी नहीं है, यह सब जलवायु परिवर्तन का असर ही है।