हापुड़ जिले में मरीजों की जान बचाने वाली एम्बुलेंस का भरोसा करना अब खतरे से खाली नहीं रह गया है। निजी अस्पतालों से मरीजों को लेकर सड़कों पर दौड़ रही 70 फीसदी से ज्यादा एंबुलेंस परिवहन विभाग में पंजीकृत नहीं हैं। बिना ऑक्सीजन सिलिडिंर, पैरामेडिकल स्टाफ और बिना फिटनेस के ही हाईवे पर दौड़ रही हैं। जिले में 17 वाहनों की फिटनेस समाप्त हो चुकी है, जबकि 10 गाड़ियां कागजों में खत्म हो गई हैं। जिन्हें लगातार नोटिस दिया जा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग में 267 निजी अस्पताल व क्लीनिक पंजीकृत हैं। जबकि परिवहन विभाग में 62 एंबुलेंस पंजीकृत हैं। अधिकांश अस्पतालों ने एंबुलेंस सेवा दी हुई है। एंबुलेंस के कुछ मानक भी शासन द्वारा तय किए गए हैं, लेकिन अस्पतालों से जितनी एंबुलेंस चल रही हैं, उनमें अधिकांश के मानक ही पूरे नहीं हैं। बहुत सी एंबुलेंस में ऑक्सीजन सिलिंडर, अग्निशमन यंत्र नहीं हैं। अधिकांश में पैरामेडिकल स्टाफ भी मौजूद नहीं होता। कई एंबुलेंस में ऑक्सीजन सिलिंडर तो हैं, लेकिन ये दिखावे के लिए ही लगाए गए हैं।
निजी के साथ-साथ कई सरकारी एंबुलेंस भी खस्ता हाल हैं। मजे की बात यह है कि सड़कों पर यह दिनरात दौड़ती हैं और मरीजों से पैसा भी मुंह मांगा लिया जाता है। ऐसे में मरीजों की जान भी खतरे में है। बिना मानक पूरे किए एम्बुलेंस में मरीजों को ढो रहे चालक उनकी जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। फिर भी परिवहन विभाग कार्यवाही नहीं कर रहा है।
सीएमओ डॉ. सुनील त्यागी- ने बताया की जिले में स्वास्थ्य विभाग की समस्त 102 और 108 नंबर एंबुलेंस के दस्तावेज पूरे हैं। सभी की फिटनेस कराई गई है और परिवहन विभाग में पंजीकृत हैं। मरीजों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाता है।
एआरटीओ प्रवर्तन रमेश चौबे- ने बताया की विभाग में पंजीकृत एंबुलेंस में जिनकी फिटनेस समाप्त हो गई है, उन्हें नोटिस जारी किए जा रहे हैं। गलत तरीके से वाहनों का संचालन नहीं होने दिया जाएगा।