हापुड़ के चीनी मिलों में पेराई सत्र शुरू हुए करीब 20 दिन हो गए हैं, लेकिन किसानों को नए सत्र का भुगतान तो दूर पिछला 159 करोड़ भी नहीं मिल पा रहा है। हापुड़ के दोनों चीनी मिलों से तीन जिलों के किसान प्रभावित हैं, बच्चों की फीस भरने से लेकर शादियों तक के लिए महंगा कर्ज लेने को मजबूर हैं। वही, किसान बिना दाम घोषित किए ही मिलों पर गन्ना आपूर्ति कर रहे हैं।
हापुड़ के चीनी मिल पिछले कई सालों से किसानों का भुगतान अटकाते रहे हैं। जिला प्रशासन ने लिखित में चीनी मिलों से हर महीने 70 करोड़ का भुगतान करने का पत्र लिया था, किसानों की मौजूदगी में यह सब हुआ। लेकिन मिल इस पर खरे नहीं उतरे, अब मिलों में बैंक ने अपना अधिकारी नियुक्त कर दिया है।
ऐसे में अब अधिकारी भी आसानी से अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। किसान नए सत्र में गन्ना चीनी मिलों को सप्लाई कर रहे हैं। लेकिन इसका भुगतान अभी शुरू नहीं होगा। क्योंकि इस सत्र की चीनी से ही मिल किसानों को भुगतान देने की तैयारी में हैं। वहीं, समितियों से जारी पर्चियों पर अभी कोई दाम नहीं है। सरकार ने दामों को लेकर निर्णय भी नहीं लिया है।
कुल मिलाकर हापुड़, बुलंदशहर, मेरठ, गाजियाबाद के किसान हापुड़ के दोनों चीनी मिलों की गलत भुगतान प्रणाली से परेशान हैं। अब क्रेशरों ने गन्ने का दाम 325 रुपये प्रति क्विंटल तक कर दिया है। जहां किसानों को भुगतान नकद में ही किया जा रहा है। ऐसे में बड़ी संख्या में किसान खेत खाली करने और नकद में भुगतान पाने के लिए क्रेशरों पर गन्ना डाल रहे हैं।
जिला गन्ना अधिकारी सना आफरीन खान- ने बताया की चीनी मिलों से किसानों को लगातार भुगतान कराया जा रहा है। जल्द ही पुराने सत्र का पूरा भुगतान करा दिया जाएगा। किसानों को परेशानी न हो, इसका ध्यान रखा जा रहा है।