हापुड़ में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर भगवान श्री हरि विष्णु चार महीने योग निद्रा (शयन) से जागेंगे। देवउठनी एकादशी के साथ ही फिर से शादी-विवाह सहित अन्य मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी। जिलेभर में सैकड़ों जोड़े परिणय सूत्र में बंधे. शहर की सड़कों पर बैंड-बाजा और बारात की रौनक दिखाई दी।
देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में 4 माह शयन के बाद जागते हैं। भगवान विष्णु के शयनकाल के चार मास में विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं किये जाते हैं, इसीलिए देवोत्थान एकादशी पर भगवान हरि के जागने के बाद शुभ तथा मांगलिक कार्य शुरू होते हैं। इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाता है।
भारतीय ज्योतिष कर्मकांड महासभा के अध्यक्ष पंडित केसी पांडेय व मंत्री आचार्य गौरव कौशिक ने बताया कि प्रबोधिनी व देवउठनी एकादशी मंगलवार को है। इस दिन गंगा तीर्थ स्नान के साथ भगवान श्री हरि व मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना का विधान है। मान्यता है कि इस शुभ तिथि पर व्रत करके विधिपूर्वक भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से मनोकामना पूर्ण होती है और योग्य ब्राह्मण व मंदिरों में दान करने से भगवान प्रसन्न होते है। देवउठनी एकादशी व्रत करने से जातक को सभी तरह के पापों से छुटकारा मिल जाता है।
महासभा संरक्षक डॉ. वासुदेव शर्मा ने बताया कि एकादशी तिथि 11 नवंबर को शाम 6:47 बजे से प्रारंभ हो गई है जो 12 नवंबर को शाम 4:05 बजे तक रहेगी। देवउठनी एकादशी अबूझ मुहूर्त है। लेकिन सुबह 5:29 से शाम 4:05 बजे तक पृथ्वी लोक की भद्रा होने के कारण स्नान, व्रत, पूजन, हवन, दान आदि कार्य भद्रा में अत्यंत शुभ रहेगा।