हापुड़ जिले में रबी की फसल की बुआई के लिए खाद को लेकर किसान परेशान हैं। जिले की सहकारी समितियों पर डीएपी का संकट बना हुआ है। मंगलवार को दोपहर तक भी अधिकांश समितियों पर खाद नहीं पहुंची। जिसके कारण किसान भटकते रहे, नकद केंद्रों से भी किसानों को पर्याप्त खाद नहीं मिला। आलू व गेहूं की फसल बुवाई के सीजन में हर साल इस तरह की समस्या बनती है। समय से खाद न मिलने से बुआई में देरी हो रही है।
किसान इन दिनों आलू और गेहूं की बुवाई में जुटे हैं। इन फसलों में डीएपी और एनपीके की सबसे अधिक जरूरत होती है। लेकिन जिले में इन उर्वरकों का संकट उत्पन्न हो गया है। जिले की सहकारी समितियों में खाद न होने से किसान परेशान हैं। पिछले दिनों कांधला से डीएपी की रैक जिले को आवंटित हुई थी। लेकिन बहुत सी समितियों पर उर्वरक खत्म हो गया है। बफर गोदाम में भी थोड़ा ही डीएपी उपलब्ध है।
मंगलवार को दिनभर किसान समितियों पर डीएपी के लिए भटकते रहे। लेकिन दोपहर बाद भी उर्वरक नहीं मिला। चमरी सोसायटी पर आए किसानों ने बताया कि जब भी आवश्यकता होती है डीएपी नहीं मिलता है। आलू बुवाई का पीक समय है, लेकिन उर्वरक नहीं मिलने से फसल प्रभावित हो रही है। इसके साथ ही गन्ना सहकारी समितियों पर भी डीएपी का संकट है। मुख्य नकद बिक्री केंद्रों से भी किसानों को उर्वरक नहीं मिल रहे हैं। कालाबाजारी और ओवर रेटिंग न हो, इसके लिए जिला कृषि अधिकारी द्वारा निरीक्षण कर दुकानदारों को सचेत किया गया है।
जिले में डीएपी की किल्लत का आलम यह है कि जिन नकद केंद्र या समितियों पर खाद उपलब्ध है। वहां से भी प्रत्येक किसान को अधिकतम तीन से चार कट्टे ही मिल पा रहे है। आलू बुवाई में अधिकारी एनपीके के प्रयोग की अपील कर रहे हैं। हालांकि किसान डीएपी को अधिक प्राथमिकता देते हैं।
सहकारी समिति से जुड़े अधिकारियों का दावा है कि बफर गोदाम में 200 टन डीएपी है। हालांकि किसानों की प्रतिदिन की मांग करीब 100 टन है। ऐसे में इसी तरह की मांग बनी रहने से दो से तीन दिन में स्टाक खत्म होने की संभावना है।