हापुड़ /गढ़मुक्तेश्वर क्षेत्र में गन्ने की खेती बहुत लम्बे समय से की जा रही है। किसानों का रुझान गन्ने की सहफसली खेती की ओर तेजी से बढ़ रहा है। किसानों ने बड़े पैमाने पर शीतकालीन गन्ने के साथ ही सरसों की बुवाई करना शुरू कर दिया है। इसके लिए चीनी मिल और गन्ना विभाग के अधिकारी किसानों को जागरूक भी कर रहे हैं। रविवार को क्षेत्र में चीनी मिल प्रबंधन ने गांव कुराना से गन्ना बुवाई शुरू कराई।
सिंभावली चीनी मिल के कृषि विशेषज्ञ कुशलवीर सिंह का कहना है कि ट्रेंच विधि से बुवाई करने पर गन्ने के साथ-साथ लहसुन, चना, सरसों व अन्य फसल भी उगाई जा सकती है। जिसके चलते किसानों का रुझान गन्ने की सहफसली खेती की ओर बढ़ता नजर आ रहा है। क्षेत्र में बड़े पैमाने पर गन्ने की खेती की जा रही है। किसानों को रोग प्रतिरोधी किस्म के प्रति जागरूक किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि इस बार गन्ने की फसल में रोग, कीट के कारण उत्पादन कुछ कम हुआ। इसके बावजूद किसानों को गन्ने की खेती से मोहभंग नहीं हुआ है। शीतकालीन गन्ने की बुवाई के प्रति भी किसानों का रुझान बढ़ा है। उन्होंने बताया कि ग्रीष्मकालीन, बसंतकालीन, गन्ने की बुवाई अधिक होती है। शीतकालीन गन्ने की खेती अच्छी मानी जाती है।
कुशलवीर सिंह ने बताया कि किसानों को रोग प्रतिरोधी किस्म के प्रति जागरूक किया जा रहा है। गन्ने की 0238 प्रजाति में लाल सडन रोग के चलते इस तरफ किसानों का रूझान कम हो रहा है।