हापुड़ जिले में पैदा होने वाला हर पांचवां नवजात ढाई किलो से कम वजन का है। पिछले चार सालों में एनआईसीयू में भर्ती हुए 2317 बच्चों में छह फीसदी 1500 ग्राम से भी कम वजन के रहे। एक किलो से कम वजन वाले शिशु भी हापुड़ में जन्म ले रहे हैं, जिनमें अधिकांश को रेफर करना ही विकल्प है। जबकि बच्चों का औसत वजन 2.5 से 2.8 किलोग्राम होना चाहिए। कंगारू मदर केयर यूनिट में निगरानी के लिए दो से पांच बच्चे रोज भर्ती हो रहे है।
स्वास्थ्य विभाग की एनआईसीयू के आंकड़ों पर गौर करें तो जनवरी 2024 से अगस्त तक नर्सरी में कुल 405 बच्चों को भर्ती कराया गया है। इनमें एक किलो से 1499 ग्राम वाले बच्चों की संख्या 24, डेढ़ किलो से 2499 ग्राम वाले बच्चों की संख्या 190 और ढाई किलो से अधिक वजन वाले 191 बच्चे भर्ती कराए गए हैं।ऐसे बच्चों को नर्सरी में उपचार के बाद कंगारू मदर केयर यूनिट में भी रखना पड़ रहा है।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. समरेंद्र राय का मानना है कि आयरन की कमी बच्चों के शारीरिक विकास में पड़ रहे प्रभाव का प्रमुख कारण है। इसके अलावा महिलाओं में हाइपरटेंशन, गर्भावस्था के अंत तक उल्टी की समस्या बने रहना, फाइबर युक्त आहार न लेना शिशु के कम वजन का कारण बनता है। गर्भावस्था में सूखे मेवे, दूध व दूध से बने उत्पाद। पालक समेत हरी पत्तेदार सब्जियां। उबले हुए अंडे का सफ़ेद हिस्सा। साबुत अनाज व इसके उत्पाद, जामुन का शकरकंद। आयरन कैल्शियम व फाइबर युक्त आहार शामिल करें।
विभाग का आंकड़ा बताता है कि कम वजन वाले ऐसे बच्चे जन्म के पांच साल बाद तक कुपोषण से जूझते रहते हैं। इन्हें निमोनिया व डायरिया की बीमारी आसानी से हो जाती है।
सीएमओ डॉ. सुनील त्यागी- ने बताया की कम वजन के नवजात शिशुओं के लिए एनआईसीयू, कंगारू मदर केयर यूनिट है, जिनमें शिशुओं को भर्ती रख उपचार दिया जाता है। जिला अस्पताल की बच्चा नर्सरी भी जल्द चालू हो जाएगी।