जनपपद हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर में लाखों दावों के बावजूद गंगा को स्वच्छ बनाने के सारे प्रयास विफल साबित हो रहे हैं। नगर की आबादी का दूषित पानी गंगा में गिर रहा है। जिस पर करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद भी रोक नहीं लग पाई। वहीं, अधिकारी भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे।
उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय और एनजीटी ने गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाए रखने के लिए निर्देश जारी किए हैं। साथ ही सरकार भी विभिन्न योजनाएं चलाकर गंगा की धारा को निर्मल बनाने का प्रयास कर रही है। लेकिन धरातल पर गंगा स्वच्छ नहीं हो पा रही। नगर के नधावांस और ब्रजघाट में करीब 65 करोड़ की लागत से दो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए गए थे, लेकिन वर्तमान में दोनों प्लांट बंद है।
इसमे आबादी के घरो का दूषित पानी गंगा की निर्मल धारा में खुलेआम गिर रहा है। 2012 से लेकर अब तक तीन योजनाएं चलाई गई हैं। अमृत योजना, नमामि गंगे योजना, नेशनल मिशन फॉर वलीन गंगा के तहत चलाई जा रही यह योजना। इन सब के बावजूद गंगा को स्वच्छ बनाने के सारे प्रयास असफल साबित हो रहे हैं।
एसडीएम साक्षी शर्मा- ने बताया की जल निगम और पालिका के अधिकारियों को निर्देशित कर घरों के कनेक्शन मेनहोलों से जुड़वाएं जाएंगे। इसके अलावा मैनहोलों की सफाई भी कराई जाएगी। दूसरी ओर एसटीपी चालू कराने के लिए भी उच्चाधिकारियों से पत्राचार किया जा रहा है।