जनपद हापुड़ के 90 हजार गन्ना उत्पादक किसानों को झटका लगा है। इस साल गन्ने का उत्पादन 30 से 40 फीसदी घटा है। गन्ने के 0238 प्रजाति में बीमारी लगने से किसानों के सपने टूट गए हैं।
सत्र 2022-23 में जिले के अंदर 41946 हेक्टेयर रकबे में गन्ने की फसल उगाई गई है। चीनी मिलों के भुगतान प्रणाली में अनियमितता से इस साल किसानों ने रकबा दो फीसदी घटा दिया था।
जून महीने में फसल में टॉप बोरर का अटैक हुआ था। इसके अलावा कई अन्य रोगों ने गन्ने की फसल को बर्बाद कर दिया। गन्ने की 0238 प्रजाति पर बीमारी का असर अधिक रहा। हापुड़ जिले के करीब 95 फीसदी रकबे में यही फसल उगाई गई थी।
दो नवंबर को मिलें चालू हो गई थीं। गन्ने की कटाई चल रही है, लेकिन बीमारी के कारण फसल का उत्पादन 30 से 40 फीसदी कम हो गया है। जहां पहले एक बीघा में 80 क्विंटल गन्ना निकल जाता था, वहीं अब इन दिनों यह घटकर 50 क्विंटल तक ही रह गया है।
दूसरी मार किसान भुगतान की झेल रहे हैं। मिलों ने अभी पुराने सत्र का भुगतान भी नहीं किया है। पेराई सत्र का समय 6 महीने माना जाता है।
इसमें कुल 180 कॉलम दिए जाते हैं। जिसके हिसाब से पर्ची मिलती हैं, लेकिन पेराई चालू हुए 54 दिन बीत गए हैं, अब तक 48 कॉलम ही कटे हैं, ऐसे में किसानों को समय से पर्चियां तक नहीं मिल रही हैं।
चीनी मिलों को भी उत्पादन घटने से नुकसान झेलना पड़ा है। गांवों मे मिल द्वारा 0238 प्रजाति के बजाए दूसरी प्रजातियों का गन्ना उगाने की सलाह दी जा रही है। दीवारों पर पेंटिंग कर, इस प्रजाति का मोह छोड़ने की अपील की जा रही है।
किसान-धनवीर शास्त्री ने बताया कि गन्ने की फसल कीट, रोग की चपेट में है। 40 फीसदी तक उत्पादन घट गया है। ऊपर से पर्चियां नहीं मिल पा रही हैं। गन्ना किसानों पर दोहरी मार पड़ी है। मिल भुगतान नहीं दे रहे हैं, गेहूं की बुवाई भी प्रभावित हो गई है।
किसान-जतिन चौधरी ने बताया कि गन्ने की फसल में बीमारी लगने से काफी नुकसान हुआ है। पहले एक बीघा में 80 क्विंटल तक गन्ना निकलता था, अब महज 50 या इससे भी कम गन्ना निकल रहा है। चारा भी नहीं हो रहा है, चीनी मिलों की भुगतान प्रणाली इस फसल से मोह छूट रहा है।
जिला गन्ना अधिकारी- निधि गुप्ता ने बताया कि 0238 प्रजाति में इस बार काफी बीमारियां मिलीं हैं। किसानों को दूसरी प्रजातियों के बारे में बताया जा रहा है। गन्ना खरीद को लेकर चीनी मिलों को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं।