हापुड़ क्षेत्र के एक गांव में 11 महीने के मासूम बच्चे में गलघोंटू (डिप्थीरिया) के लक्षण मिले हैं। डिप्थीरिया एक संक्रामक रोग है, जो कोरिने बैक्टीरियम डिप्थीरिया नामक जीवाणु के कारण होता है। बच्चे के सैंपल जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा गया है। आवश्यक दवाएं दी गई हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार निगरानी कर रही है, बच्चों में टीकाकरण भी तेज कर दिया गया है।
बरसात के मौसम में संक्रामक रोग बढ़ने लगे हैं। पिछले साल जिले में खसरे ने कहर बरपाया था। अब डिप्थीरिया बच्चों की जान पर खतरा बन रहा है। मेरठ रोड के एक गांव में 11 महीने के बच्चे में डिप्थीरिया के लक्षण मिले हैं। तीन दिन से बच्चे की निगरानी कराई जा रही है।
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने आस पास के इलाकों में भी निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। आशा, एएनएम को निगरानी पर लगाया है। टीम ने बताया कि बच्चे को तीन टीके पहले ही लग चुके हैं। डिप्थीरिया के लक्षण आने पर सैंपल जांच को लैब भेजे हैं, साथ ही डिप्थिरिया एंटी टॉक्सिन लगा दी गई है।
डिफ्थीरिया को गलघोंटू नाम से भी जाना जाता है। यह कॉरीनेबैक्टेरियम डिफ्थीरिया बैक्टीरिया के इंफेक्शन से होता है। जो गले और श्वांस नली को प्रभावित करता है। संक्रमण के कारण एक ऐसी झिल्ली बन जाती है, जिसके कारण सांस लेने में रुकावट पैदा होती है। इससे प्रभावित होने वाले लोगों को सांस लेने और निगलने में गंभीर समस्या होती है और उनकी त्वचा पर घाव हो सकते हैं।
बरसात के बाद डेंगू, मलेरिया के फैलने का खतरा बढ़ गया है। सरकारी अस्पतालों में रेपिड जांच शुरू करा दी गई है। फिलहाल डेंगू का मामला नहीं आया है। हालांकि टाइफाइड मरीजों में खूब मिल रहा है।
सीएमओ डॉ. सुनील त्यागी- ने बताया की 11 महीने के बच्चों में गलघोंटू के लक्षण मिले हैं। नमूना जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा गया है। आवश्यक दवाएं दी गई हैं। क्षेत्र में निगरानी बढ़ा दी है, पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन है।