हापुड़ में छात्रों की सुरक्षा को लेकर सरकार तो गंभीर है, लेकिन परिवहन विभाग के अधिकारी स्कूली वाहनों की जांच में खानापूर्ति कर रहे हैं। ऐसे में फिटनेस प्रक्रिया भी सवालों में है। जिले में 100 से अधिक स्कूली वाहनों के पास फिटनेस प्रमाण-पत्र नहीं है। इसके बाद भी चार दिन के अभियान में अधिकारी मात्र तीन वाहनों पर ही कार्यवाही कर सके हैं। जबकि, दूसरे जिलों में कई हादसे हो चुके हैं।
उपसंभागीय कार्यालय में 536 स्कूली वाहन पंजीकृत हैं। विभाग के आंकड़ों पर ही नजर डालें तो इनमें से 100 से अधिक वाहनों पर फिटनेस प्रमाण-पत्र नहीं हैं। जबकि, विभाग के पास इनके पता आदि सब मौजूद है। इसके बाद भी विभाग जिन स्कूलों में इन वाहनों का संचालन हो रहा है, वहां कार्यवाही न करके अधिकारी दूसरे स्थानों पर चेकिंग कर रहे हैं। इस कारण वाहनाें पर अधिक कार्यवाही भी नहीं हो पा रही है।
सोमवार से शुरू हुआ स्कूली वाहनों की जांच का अभियान 22 जुलाई तक चलेगा, लेकिन चार दिनों के अभियान में अधिकारियों ने 121 वाहनों की जांच का दावा किया है। जिसमें छह वाहनों पर जुर्माने की कार्यवाही की गई है। जबकि, तीन वाहनों को सीज किया गया है। इन तीन वाहनों में अधिक कमियां मिली हैं। वाहनों का फिटनेस टेस्ट मात्र औपचारिकता बनकर रह गया है। जो सड़क पर होने वाले अधिकांश दुर्घटनाओं की वजह बनते हैं।
एआरटीओ प्रवर्तन रमेश चौबे- ने बताया की बिना फिटनेस के स्कूली वाहन चलाने वालों के विरुद्ध लगातार जांच कर कार्यवाही कर रहे हैं। वाहनों को सीज करने की कार्यवाही भी की है।