हापुड़। सरकार का निर्मल गंगा अभियान केवल कागजों तक ही सीमित रहा है। लेकिन, ऐसा हकीकत में बिल्कुल नहीं है। गंगा में आज भी फैक्टरियों और नालों का पानी गिर रहा है। एसडीएम गढ़ साक्षी शर्मा ने भी हाल ही में एसटीपी का निरीक्षण किया था, इस दौरान ये प्लांट बंद मिले थे। इस मामले में एसडीएम ने अपनी डीएम को रिपोर्ट भेजी थी। जल निगम के अधिकारियों को भी नोटिस जारी किया गया है।
ब्रजघाट में रोजाना हजारों लोग गंगा स्नान करने आते हैं। गंगा जल को शुद्ध मानकर उसका सेवन करते हैं, लेकिन जल निगम और प्रदूषण विभाग की लापरवाही गंगा जल को मैला कर रही है। जबकि, करोड़ों रुपये खर्च करके पानी को शुद्ध करने के दावे किए जाते हैं।
बता दें कि नमामि गंगे योजना के तहत जल निगम ने करोड़ों रुपये खर्च करके गढ़ और ब्रजघाट में छह व तीन एमएलडी के एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) लगाए थे। इसका उद्देश्य था कि शहर के नालों के जरिए गंगा में गिर रहे सीवरेज का शुद्धिकरण करके पानी को गंगा में डाला जाए, लेकिन गंगा में गिर रहे सीवरेज का शुद्धिकरण के नाम पर सिर्फ खानापूति हो रही है। हकीकत में यह ट्रीटमेंट प्लांट भी सही प्रकार से काम नहीं कर रहे हैं। अधिकारी जब निरीक्षण करने जाते हैं तो एसटीपी बंद मिलते हैं। वहीं, कुछ समय पहले प्रदूषण विभाग के अधिकारियों ने भी एसटीपी बंद होने के मामले में जल निगम के अधिकारियों को नोटिस दिया था।
गढ़ में बने एसटीपी में लगी कई मशीनों को ठीक कराने के लिए जल निगम के पास कोई बजट नहीं है। इन्हें ठीक कराने के लिए जल निगम के अधिकारी ने शासन को प्रस्ताव भेजा था। इसमें तकनीकि अनुमति तो मिल गई है, लेकिन वित्तीय अनुमति नहीं मिली है।
जल निगम अधिशासी अभियंता विनय रावत- ने बताया की वर्तमान में दोनों एसटीपी संचालित हैं। गढ़ वाले एसटीपी की कमियों को दूर करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। ततारपुर में टेंडर प्रक्रिया अंतिम दौर में है।