हापुड़ में तपिश और बरसात उमस बढ़ने से मरीज फूड प्वाइजनिंग की चपेट में आ रहे हैं। पर्याप्त तापमान में न रखने और खुले में रखे खाद्य पदार्थों पर बैक्टीरिया तेजी से पनप कर सेहत खराब करते हैं। सरकारी और निजी अस्पतालों की ओपीडी में ऐसे मरीज पहुंच रहे हैं।
मॉनसून का मौसम शुरू हो गया है। बारिश का यह समय सेहत के लिहाज से बहुत ही संवेदनशील मौसम है। मॉनसून / बरसात / बारिश के मौसम (Rainy Season) में फूड पॉइजनिंग का खतरा हमेशा बना रहता है।
फिजिशियन डॉ. प्रदीप मित्तल ने बताया कि उमस के कारण खुले में रखे पदार्थों में तेजी से संक्रमण पैदा हो जाते हैं, जो सीधे पाचन शक्ति पर हमला करता है, इससे व्यक्ति को डायरिया हो जाता है। दूध से बने पदार्थों में सेलमोनिला और स्टेफीलोकाल (दोनों बैक्टीरिया के नाम) फूड प्वाइजनिंग मुख्य रहती है।सेलमोनिला फूड प्वाइजनिंग में थोड़ा बुखार होने के साथ आंतों में सूजन, उल्टी और दस्त के साथ कोई भी व्यक्ति डायरिया की चपेट में आ जाता है।
मांसाहारी खाद्य पदार्थों में भी ऐसे संक्रमण रहते हैं। इसमें संक्रमण अपना असर 12 से 24 घंटे के बीच दिखाना शुरू कर देते हैं। इसी तरह स्टेफीलोकाल फूड प्वाइजनिंग में बैक्टीरिया तेजी से अपना जहर छोड़ते हैं। इसमें एक से 6 घंटे के भीतर फूड प्वाइजनिंग के लक्षण दिखना शुरू हो जाते हैं। इसके अलावा मांसाहारी खाद्य पदार्थों से आम तौर पर क्लोसिटम फूड प्वाइजनिंग (बैक्टीरिया का नाम) की आशंका रहती है।
बरसात के मौसम में यदि हम साफ-सफाई के प्रति ध्यान नहीं रखेंगे तो ये बैक्टीरिया, फंगस या वायरस फूड के माध्यम से हमारे पेट में घुस जाते हैं और हमें फूड प्वाइजनिंग दे देते हैं।