हापुड़ में हाथरस जैसे हादसे ने सभी को स्तब्ध कर दिया है। भगवान न करें लेकिन यदि ऐसा हादसा हापुड़ में हुआ तो यहां के सरकारी अस्पतालों में इससे निपटने के इंतजाम नहीं हैं। अस्पतालों में न ते विशेषज्ञ चिकित्सक हैं और न स्टाफ, आपात वार्डों में वेंटिलेटर तक की व्यवस्था नहीं हैं। वहीं, आक्सीजन प्लांट भी बंद रहते हैं। ऐसे में तमाम गंभीर मरीजों को दूसरी जगह रेफर करना पड़ता है।
जिले में हाथरस जैसा कोई हादसा होता है तो यहां के आपात वार्ड ऐसी किसी भी घटना के लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं। जिले के अस्पताल अभी भी सुविधाओं के साथ स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं। जिला बनने के 13 साल बाद जाकर ट्रामा सेंटर चलने के आसार दिखाई दिए हैं। इस माह सिखैड़ा में ट्रामा सेंटर की कुछ दिनों में शुरूआत हो जाएगी। जिसके बाद कुछ राहत जरूर मिल सकेगी।
हापुड़ में जिला अस्पताल के अलावा आठ सीएचसी हैं। जिले में छह सर्जन की आवश्यकता है, लेकिन फिलहाल जिले में एक भी सर्जन नहीं है। जिले में तैनात एक मात्र सर्जन का हाल ही में दूसरे जिले के लिए स्थानांतरण हो चुका है। गढ़ रोड सीएचसी पर तैनात एक मात्र हड्डी रोड विशेषज्ञ का स्थानांतरण ट्रामा सेंटर के लिए किया गया है। ऐसे में जिला अस्पताल समेत जिले की सभी आठ सीएचसी पर एक भी हड्डी रोड विशेषज्ञ तैनात नहीं है।
सीएमओ डॉ. सुनील त्यागी- ने बताया की जिले के अस्पतालों की इमरजेंसी वार्ड में उपचार की व्यापक व्यवस्था है, जो भी कमियां रह गई हैं, उन्हें दुरुस्त किया जा रहा है। ट्रामा सेंटर की कुछ दिनों में शुरूआत हो जाएगी। चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए शासन से पत्राचार किया जा रहा है।