हापुड़ जिले में मनरेगा के कार्यों में हुए घोटालों के मामलों में अधिकारी उदासीनता बरत रहे हैं। तत्कालीन लोकपाल अंशु त्यागी की जांच रिपोर्ट के बाद भी जिले के अधिकारी कार्यवाही नहीं कर रहे हैं। ऐसे में दस महीने के बाद भी मामले में कार्यवाही न होना अधिकारियों की लचर कार्यप्रणाली को दर्शाता है।
मनरेगा के तहत 262 प्रकार की योजनाएं जिले में चल रही हैं लेकिन, योजनाओं के क्रियान्वयन में बड़ा भ्रष्टाचार हुआ था। पांच मामलों में भ्रष्टाचार के आरोपों की शिकायत के बाद तत्कालीन लोकपाल मेरठ मंडल अंशु त्यागी ने इनकी जांच की थी। जिसमें गढ़मुक्तेश्वर क्षेत्र के पांच गांवों में लगभग 75 लाख रुपये की धनराशि का फर्जीवाड़ा मिला था। सभी मामलों में उक्त अधिकारियों, वर्तमान और पूर्व जनप्रतिनिधियों से धनराशि की वसूली के साथ ही रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश भी दिए गए थे। इसके बाद भी आज तक कोई कार्यवाही नहीं हो सकी है।
गढ़मुक्तेश्वर के ग्राम हशुपुर के रहने वाले शिकायतकर्ता करणवीर सिंह ने आरोप लगाया था कि कागजों में ही विकास कार्य कराए गए हैं। तालाब की खोदाई मनरेगा जॉब कार्ड से दिखाई गई। जबकि, ग्रामीणों ने बुलडोजर से खोदाई की वीडियो बनाई हुई है। इसी प्रकार तालाब किनारे, कब्रिस्तान व एएमएम सेंटर के पास लाखों रुपये की लागत से पौधरोपण कराया हुआ बताया था। जबकि, तालाब और कब्रिस्तान के आसपास कोई पौधे नहीं लगाए गए। इसके अलावा सोकता गड्ढों के निर्माण कार्य के नाम पर लाखों रुपये का फर्जी भुगतान किया गया था। गांव में विभिन्न चकरोड पर मिट्टी भराव का कार्य दिखाया था। इसमें भी फर्जीवाड़ा सामने आया था। मनरेगा जॉब कार्ड में जिन लोगों के खातों में लाखों रुपये का भुगतान किया गया था। उनमें से कुछ मजबूर करीब छह माह से बीमार थे। उक्त प्रकरणों में 14.57 लाख रुपये का भ्रष्टाचार मिला था।
डीडीओ देवेंद्र प्रताप सिंह- ने बताया की मुझे पूरे प्रकरण के बारे में जानकारी नही है। मैंने प्रकरण से संबंधित फाइल निकलवाई है। जांच में क्या आदेश मिले थे, उसको देखकर ही आगे की कार्यवाही की जाएगी।