हापुड़ में गेहूं कटाई की मजदूरी बेहद महंगी होने से किसान फसल को सीमित कर रहे हैं। शहर के पड़ोसी गांवों में 50 फीसदी तक फसल कम कर दी गई है।गेहूं की कटाई का समय शुरू होने के साथ ही मजदूरों की मांग बढ़ गई है। इन दिनों गेहूं कटाई के बदले प्रति बीघा 60 से 70 किलो गेहूं लिया जा रहा है। इसके साथ ही भूसे की ढुलाई ने भी किसानों की कमर तोड़ दी है।
गेहूं का सरकार ने एमएसपी 2275 रुपये घोषित किया है। बाजार में भी लगभग इसी तरह का दाम है। दो साल पहले दाम तीन हजार तक पहुंच गया था। लेकिन अब एमएसपी के आस पास ही बना हुआ है। जमीनों का अधिग्रहण होने से हर साल रकबा घट रहा है। तीन साल में 2500 हेक्टेयर रकबा घट गया। लेकिन गन्ने के साथ ही अब गेहूं उठाने में बनी मुसीबत किसानों को इस फसल से दूर कर रही है।
एक बीघा गेहूं कटाई पर 12 से 14 धड़ी (60 से 70 किलो) गेहूं मजदूरी वाले मांग रहे हैं। जागरूक किसानों की मानें तो एक बीघा में तीन से साढ़े तीन क्विंटल गेहूं निकलते हैं। साथ ही थ्रेसिंग करने वाले भी करीब 12वां हिस्सा ले जाते हैं। ऐसे में किसान को प्रति बीघा डेढ़ क्विंटल तक ही गेहूं बच पाता है। जबकि इसे तैयार करने में हजारों रुपये खर्च हो जाते हैं।
जिला कृषि अधिकारी मनोज कुमार- ने बताया की जिले में गेहूं का बंपर उत्पादन है, मौसम अनुकूल रहने से फसल निरोगी रही है। थ्रेसिंग जारी है, किसानों ने नवीनतम प्रजातियों को अपनाया है, जिनका उत्पादन भी अच्छा है।