हापुड़। गन्ना बेल्ट में शामिल हापुड़ इस बार उत्पादन में पिछड़ गया, हापुड़ की दोनों चीनी मिलों को पिछले सालों के मुकाबले सत्र में 33 लाख क्विंटल कम गन्ना मिला है।
यही कारण है कि जिले के दोनों चीनी मिलों को मार्च में ही बंद करना पड़ा, जबकि मेरठ और बुलंदशहर में अभी भी मिल चल रहे हैं। भुगतान फिर पटरी से उतर गया है, सात दिसंबर के बाद का अभी तक कोई भुगतान नहीं किया गया। हाईवे में भूमि अधिग्रहण और चीनी मिलों की गलत भुगतान नीति से परेशान किसान गन्ने की फसल से दूरी बना रहे हैं। पिछले सत्र में गन्ने का करीब पांच हजार हेक्टेयर रकबा कम हुआ था। क्षेत्रफल घटने, उत्पादन गिरने और क्रेशरों पर नकद खरीद से मिलें पिछड़ीं है, जिसका परिणाम अब सामने आया है। जिले के सर्वाधिक क्षेत्रफल में को-0238 प्रजाति का गन्ना बोया जाता है, जिसे विस्थापित किया जा रहा है, लेकिन नया बीज किसानों को नहीं मिल रहा। ऐसे में इस बार भी क्षेत्रफल प्रभावित हो सकता है।
बहरहाल, जिले के दोनों चीनी मिलों में पर पेराई सत्र समाप्त हो गया है, खरीद के लक्ष्य से पिछड़े मिलों को अब किसानों का भुगतान करने की चुनौती है। क्योंकि पिछले सत्र का भुगतान भी मिलों ने इस सत्र की चीनी से किया है, इस बार का भुगतान किस मद से पूरा हो पाएगा यह बड़ा सवाल है।
जिला गन्ना अधिकारी सना आफरीन खान- ने बताया की जिले के किसानों का गन्ना भुगतान तेजी से कराया जाएगा। इस संबंध में मिलों को निर्देशित कर दिया गया है। दोनों ही मिलों में पेराई सत्र समाप्त हो गया है। किसानों को गन्ने की नवीनतम प्रजातियों के बारे में भी जागरूक किया जा रहा है।