हापुड़। किसान बैंकों से ब्याज लेकर महंगे कर्ज के बोझ तले दब रहे हैं। 8,476 किसानों ने 51 करोड़ का ऋण नहीं चुकाया है। जिले की 36 सहकारी समितियों से 60 हजार किसानों ने 406.31 करोड़ का ऋण लिया है, जोकि पिछले साल से करीब 22 करोड़ अधिक है। चार सालों में ऋण लेने वाले किसानों की संख्या में भी करीब दस फीसदी का इजाफा हुआ है।
8,476 किसान डिफाल्टर हो गए हैं, जिन पर समितियों का करीब 51 करोड़ रुपये बकाया है। ऐसे किसानों के नाम भी सार्वजनिक किए जाने लगे हैं। सहकारिता विभाग से जुड़ी समितियां किसानों को फसली ऋण मुहैया कराती हैं। किसानों को उसकी जोत के अनुसार ऋण मिलता है। इसमें सरकार बंपर अनुदान देती है, जिसके बाद किसानों को महज तीन फीसदी वार्षिक ब्याज ही मूल के साथ समितियों को वापस करना पड़ता है।
लेकिन सस्ते ब्याज के चक्कर में हर साल हजारों किसान ऋण के भंवर में फंस रहे हैं। ऋण जमा न करने का मुख्य कारण चीनी मिलों द्वारा समय से भुगतान न करना भी है। यही कारण है कि हर साल ऋण लेने वाले किसानों की संख्या में दो से तीन हजार का इजाफा हो रहा है।
समय से ऋण न चुकाने पर हजारों किसान डिफाल्टर भी हो रहे हैं। इससे कहीं अधिक किसान बैंकों से ब्याज लेकर महंगे कर्ज के बोझ तले दब रहे हैं। किसानों की जमीनें भी बैंकों में बंधक हैं, तहसील से निकलने वाली अधिकांश खतौनियां भी ऋणों से भरी पड़ी हैं।