हापुड़ जिले में 60 फीसदी से अधिक क्लीनिक, पैथलॉजी लैब और अस्पताल बिना फायर एनओसी चल रहे हैं। कही भी आग से बचाव के नियमों का पालन
नहीं किया जा रहा है। सिर्फ 19 अस्पतालों ने ही एनओसी ली है, ऐसे में दिल्ली के अस्पताल जैसा हादसा यहां भी हो सकता है। कई अस्पतालों में बच्चा नर्सरी भी संचालित हैं, इनमें भी फायर एनओसी नहीं है।
जिले में छोटे बड़े क्लीनिक, अस्पताल और पैथोलॉजी लैब की संख्या 247 हैं। इनके नवीनीकरण की प्रक्रिया चल रही है, शासन ने मुख्य मानकों में अग्निशमन विभाग की एनओसी भी शामिल की है। लेकिन बहुत से अस्पताल खुद को दस बेड से कम क्षमता का बताकर एनओसी नहीं ले रहे। 60 से अधिक अस्पताल बिना फायर एनओसी चल रहे हैं। हापुड़ में भी कई अस्पताल ऐसे हैं, जो बिना फायर एनओसी के चल रहे हैं। इनके पास आग बुझाने के संसाधन भी नहीं हैं।
दिल्ली की घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट हो गया है। सीएमओ डॉ. सुनील त्यागी ने बताया कि सभी सरकारी अस्पतालों को पूर्व में ही अग्निशमन उपाय दुरुस्त करने के लिए नोटिस दिया गया था। पुनः अस्पतालों को नोटिस जारी किया जायेगा और सभी अस्पतालों में टीम भेजकर निरीक्षण कराया जाएगा। नियमों का उल्लघंन करने वालों के रजिस्ट्रेशन कैंसिल किए जाएंगे।
सीएमओ डॉ. सुनील त्यागी- कहना है की अस्पताल द्वारा पंजीकरण किए जा रहे हैं, इनसे फायर की एनओसी मांगी जा रही है। मानक पूरे होने पर ही अस्पतालों के पंजीकरण का नवीनीकरण होगा।
मुख्य अग्निशमन अधिकारी मनु शर्मा- ने बताया की आग से बचाव के लिए प्रतिष्ठानों में संशाधन होने जरूरी हैं। लोगों की जान से खिलवाड़ न हो इसके लिए एनओसी जरूरी है। प्रतिष्ठानों को निर्देशित कर चुके हैं, लगातार जांच भी की जाती है।