हापुड़। शहर में मानसून दस्तक देने को तैयार है, लेकिन नगर पालिका की सफाई व्यवस्था की पोल पहले ही खुल चुकी है। नगर पालिका द्वारा नालों की सफाई पर 50 लाख रुपये खर्च किए जाने के बावजूद अधिकतर नाले गंदगी से अटे पड़े हैं।
विशेष सचिव से लेकर डीएम तक कर चुके हैं निरीक्षण
बीते 5 जून को नगर विकास विभाग के विशेष सचिव उदयभानु त्रिपाठी व जिलाधिकारी सहित प्रशासनिक अधिकारियों ने नालों का निरीक्षण कर नगर पालिका की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई थी। इसके बाद भी स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हुआ। शहर के पांच प्रमुख नालों की सफाई पर 25 लाख रुपये अलग से खर्च किए गए, फिर भी वह अब भी कचरे से लबालब हैं।
मानसून से पहले खतरे का संकेत
मौसम विभाग के अनुसार जुलाई के पहले सप्ताह तक मानसून आने की संभावना है। ऐसे में यदि नालों की सफाई नहीं हुई तो हल्की बारिश भी जलभराव का कारण बन सकती है। बीते वर्षों में भी बरसात के दौरान शहर की सड़कें जलमग्न हो चुकी हैं, जिससे लोगों को भारी आर्थिक और मानसिक नुकसान उठाना पड़ा था।
नगर पालिका का दावा और अपील
अधिशासी अधिकारी इंद्रपाल सिंह का कहना है:
“नगर पालिका द्वारा पूरी ईमानदारी से शहर के पांच बड़े नालों की सफाई कराई गई है। यदि कहीं गंदगी रह गई है, तो दोबारा सफाई कराई जाएगी। अन्य नालों की सफाई भी जारी है। नागरिकों से अपील है कि नालों या खुले में कूड़ा न डालें।”
जनता में आक्रोश
हालात को देखकर नागरिकों में नाराजगी है। लोगों का कहना है कि हर साल लाखों खर्च करने के बाद भी नतीजा वही रहता है। नालों की सफाई केवल कागज़ों में पूरी होती है, जबकि ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है।