हापुड़ में आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की नवमी 15 जुलाई को है। इस दिन गुप्त नवरात्रि का भी समापन होगा। भड़रिया नवमी पर अबूझ सहालग के कारण अधिकांश मैरिज हॉल फुल हो गए हैं। इस दिन जिलेभर में करीब 400 जोड़ों की शादी होगी। 17 जुलाई से देवशयनी एकादशी और चतुर्मास लगने से अगले चार माह तक मांगलिक कार्यों पर विराग लग जाएगा।
हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भड़रिया नवमी का स्वयं सिद्ध मुहूर्त होता है, शास्त्रों के अनुसार भड़रिया नवमी के दिन भगवान लक्ष्मी नारायण की विशेष पूजा और कथा के साथ शुभ मंगल कामना की जाती है। सिद्ध मुहूर्त होने की वजह से इस दिन किसी भी शुभ कार्य और विवाह के लिए पंचांग शुद्धि देखने की आवश्यकता नहीं होती है। इस दिन सगाई, विवाह संस्कार, नींव पूजन, गृह प्रवेश, व्यापार आरंभ और वाहन खरीदना शुभ रहता है। इसे अनसूज साया या अबूझ साया भी कहा जाता है। इस बार15 जुलाई को भड़रिया नवमी है।
शुक्र अस्त होने से मई और जून में मांगलिक कार्यों पर विराम लग गया था। इस माह नौ जुलाई से 15 जुलाई तक सिर्फ छह दिन के लिए विवाह, मुंडन आदि शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त है। छह जुलाई से गुप्त नवरात्रि भी चल रहे हैं, जिनका समापन 15 जुलाई को नवमी के दिन होगा। मांगलिक कार्यों की शुरुआत होने के बाद बाजारों में भी खरीदारी के लिए चहल पहल बढ़ गई है। सराफा बाजार, गोल मार्केट, पुराना बाजार सहित शहर के बाजारों में खरीदारों की भीड़ बढ़ने से देर रात तक बाजार गुलजार हो रहे हैं। 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी और चतुर्मास लग जाएगा।
ज्योतिषाचार्य संतोष तिवारी ने बताया कि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु क्षीर सागर में चार माह के लिए विश्राम करने के लिए चले जाते हैं। जिससे शुभ कार्यों पर विराम लग जाता है। देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु के जागने पर चतुर्मास समांप्त होता है।