हापुड़ में गर्भ के दौरान महिलाओं में खून की कमी मिल रही है। खून की कमी का गर्भस्थ शिशु पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जिले की 40 फीसदी से अधिक गर्भवती महिलाएं खून की कमी से जूझ रही हैं। विभाग की ओर से 50 हजार गर्भवती महिलाओं की जांच में करीब 24 हजार महिलाओं में सामान्य से कम खून पाया गया है। इसमें करीब सात हजार महिलाओं में हीमोग्लोबिन का स्तर आठ डेसीलीटर से भी कम पाया गया है।
महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. रेखा शर्मा ने बताया कि मातृ एवं शिशु मृत्युदर को कम करने, गर्भवती की बेहतर स्वास्थ्य देखभाल, प्रसव पूर्व जांच एवं उन्हें समय पर उचित इलाज मुहैया कराने के लिए यह दिवस प्रत्येक माह की एक नौ, 16 व 24 तारीख को मनाया जाता है। महिलाओं में हीमोग्लोबिन का स्तर न्यूनतम 11 यूनिट होना चाहिए, लेकिन जांच के दौरान गर्भवतियों में खून की कमी मिल रही है।
उधर, स्वास्थ्य विभाग के रिकार्ड के अनुसार करीब 50 हजार महिलाओं की जांच में 24 हजार में खून की कमी पाई गई। इनमें से 7058 महिलाएं ऐसी हैं, जिनके शरीर में खून आठ प्वाइंट से भी कम है। चिकित्सकों ने प्रसव से पहले उन्हें ब्लड चढ़ाने की सलाह दी है। कई गर्भवती महिलाएं हाई रिस्क की श्रेणी में चिह्नित की गई हैं।
जिला अस्पताल के फिजिशियन डॉ. प्रदीप मित्तल ने बताया कि सामान्य महिला के शरीर में 11.5 से 15 ग्राम प्रति डेसीलीटर रक्त होता है। खून की लगातार कमी के कारण अब 10 ग्राम डेसीलीटर तक रक्त की मात्रा को सामान्य मान लिया जा रहा है। कई ऐसी महिलाएं आती हैं, जिनमें रक्त की मात्रा 10 ग्राम डेसीलीटर से भी कम रहती है।
थकान महसूस होना, चक्कर आना, ठंड लगना, सांस लेने में दिक्कत होना, चेहरा पीला पड़ना, सिर दर्द होना, दिल की धड़कन तेज होना, भूख में कमी होना, चिड़चिड़ापन, ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत होना ये सब गर्भवती महिलाओं में खून की कमी के लक्षण है।
उचित खानपान से गर्भावस्था में खून की कमी दूर हो सकती है। विटामिन सी की मात्रा बढ़ाने के लिए अनार व संतरे का सेवन करें। आयरन के लिए खजूर, अंजीर, अखरोट, किशमिश और बादाम खाएं। प्रोटीन के लिए दाल का सेवन बढ़ाएं। चुकंदर और गाजर के सेवन से खून की कमी दूर हो सकती है।
सीएमओ डॉ. सुनील त्यागी- ने बताया की गर्भ के दौरान महिलाओं में खून की कमी मिल रही है। ऐसी महिलाओं को अभियान चलाकर चिह्नित कर, उपचार दिया जा रहा है। खून की कमी का गर्भस्थ शिशु पर बुरा प्रभाव पड़ता है।