हापुड़ में उपसंभागीय कार्यालय में महिलाओं के नाम 38 हजार से ज्यादा वाहन पंजीकृत हैं, लेकिन ड्राइविंग लाइसेंस मात्र 5630 के पास ही है। मतलब महिलाएं बिना डीएल के ही वाहन संचालित कर रही हैं। शहर में महिलाओं के ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की संख्या पुरुषों की तुलना में भी काफी कम है।महिलाएं ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में पीछे हैं। हालांकि, कोरोना के बाद पिछले तीन सालों में महिलाओं के डीएल बनवाने की संख्या में 20 प्रतिशत तक की वृद्धि भी हुई है।
एआरटीओ कार्यालय के आंकड़ों पर नजर डालें तो जिले में करीब 2.75 लाख दोपहिया, चारपहिया और व्यवसायिक वाहन पंजीकृत हैं। इसमें करीब 4500 ई-रिक्शा भी शामिल हैं। हालांकि, इसके पीछे कई कारण भी शामिल हैं। विभाग में हर महीने करीब 900 ड्राइविंग लाइसेंस बनते हैं, जिसमें करीब 50 महिलाओं के डीएल शामिल होते हैं। जबकि, जिले में डेढ़ लाख पुरुषों के पास डीएल मौजूद है। इसी प्रकार करीब 2.75 लाख वाहन पुरुषों के नाम से पंजीकृत हैं। गाजियाबाद से अलग कर हापुड़ को वर्ष 2011 में आलग जिल्ला बनाया गया था। इस कारण यहां के बहुत से वाहन गाजियाबाद में भी पंजीकृत हैं।
अधिकतर महिलाएं जिले में स्कूटी और अन्य दोपहिया वाहनों का संचालन करती हैं। इसलिए अधिकतर महिलाएं शहर के अंदर ही वाहन चलाती हैं। पुलिसकर्मी भी महिला के वाहन चलाने पर चेकिंग भी कम ही करते हैं। जुर्माने की कार्यवाही कम होने के कारण भी महिलाए डीएल नहीं बनवाती हैं।
एआरटीओ प्रशासन छवि सिंह चौहान का कहना है कि बहुत से लोग परिवार महिलाओं के नाम से वाहन खरीदते में हैं यही बड़ा कारण है कि महिलाओं के पास डीएल कम है।