जनपद हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर में महाभारत काल से जुड़े पौराणिक कार्तिक पूर्णिमा मेले का मुख्य स्नान पर्व सोमवार को शांतिपूर्ण संपन्न हुआ। खादर और ब्रजघाट मेले में पहुंचे 27 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई और मां गंगे को नमन कर आशीर्वाद मांगा। स्नान के बाद हवन पूजन किया और गंगा में पुष्प अर्पित कर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की, लेकिन श्रद्धालुओं की भीड़ के सामने प्रशासन की व्यवस्थाएं कम साबित हुईं।
कार्तिक पूर्णिमा मेलाअवधि के दौरान पश्चिमी उप्र के विभिन्न जनपदों, दिल्ली, हरियाणा व अन्य प्रदेशों से पहुंचे भक्तों ने तंबुओं के आशियाने बनाकर पड़ाव डाला। जिन्होंने गोपाष्टमी, आंवला नवमी, एकादशी के बाद कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी के मुख्य पर्वों के साथ ही प्रतिदिन मां गंगा में आस्था की डुबकी लगाई।कार्तिक पूर्णिमा पर्व पर भी श्रद्धालुओं का मेला स्थल और गंगानगरी ब्रजघाट में बाहरी क्षेत्रों से गंगा भक्त पहुंचे और स्नान का गणारा अर्जित किया। सुबह से ही घटा के चलते मौसम में ठंड बढ़ने के बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था नहीं डिगी, रात 12 बजे से ही स्नान का सिलसिला चालू हो गया, जो सोमवार को दिन भर चलता रहा।
इस दौरान तट पर मां गंगा के जयघोष गूंजते रहे। मां गंगा के जयघोष से हर घाट गूंज उठा। भक्तों ने स्नान के उपरांत तट पर हवन कर देश समेत परिवार की खुशहाली, बीमारियों, प्राकृतिक आपदाओं से निजात की भी मंगलकामना की। वहीं भगवान सत्यनारायण की कथा का श्रवण भी किया। इसके अलावा गंगा तट समेत क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर भंडारों का भी आयोजन कर प्रसाद का वितरण किया। इस दौरान गंगा के रेतीले मैदान और ब्रजघाट में भक्ति की बयार बहती दिखाई दी।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के सामने पुलिस-प्रशासन द्वारा की गई सभी व्यवस्थाएं काफी कम साबित हुईं। महिलाओं के लिए कपड़े बदलने के कक्ष, मोबाइल शौचालय, पेयजल व्यवस्था समेत अन्य सुविधाएं श्रद्धालुओं के लिए कम पड़ गईं।
एसडीएम/मेलाधिकारी अंकित कुमार वर्मा का कहना है कि खादर क्षेत्र और ब्रजघाट शहरी मेले में अनुमानित करीब 27 लाख श्रद्धालु पहुंचे। छिटपुट घटनाओं को छोड़कर स्नान सकुशल हुआ।